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राहुल के साथ बातचीत में राजीव बजाज ने कहा- लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई

गुरुवार को राहुल ने बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से लॉकडाउन और अर्थव्यवस्था को लेकर बातचीत की।

देश पिछले कुछ महीनों से कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी और लॉकडाउन  से जूझ रहा है। संकट के इस समय में भारत की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ है। अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्षी लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है।  इस कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं और अर्थव्यवस्था के एक्सपर्ट्स से बात कर रहे हैं। इस बीच गुरुवार को राहुल ने बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से लॉकडाउन और अर्थव्यवस्था को लेकर बातचीत की।
भारत को जिस तरह से बंद किया गया है यह कठोर लॉकडाउन है
राजीव बजाज ने कहा कि “भारत को जिस तरह से बंद किया गया है यह बहुत ही कठोर लॉकडाउन है। मैंने कहीं से भी इस तरह के लॉकडाउन के बारे में नहीं सुना। दुनिया भर से मेरे सभी दोस्त और परिवार हमेशा बाहर निकलने के लिए स्वतंत्र रहे हैं। उन्होंने कहा कि “कोरोना को लेकर लोगों में इतना बड़ा भय पैदा कर दिया है कि लोगों को लगता है कि यह बीमारी संक्रामक कैंसर या कुछ उसके जैसी है। और अब लोगों के दिमाग को बदलने और जीवन पटरी पर लाने और उन्हें वायरस के साथ सहज बनाने की नई नसीहत सरकार की तरफ से आने वाली है।”
कठिन लॉकडाउन लागू करने की कोशिश की, जो अभी भी कमजोर
उन्होंने कहा कि “मुख्य रूप से यह सनसनी इसलिए थी, क्योंकि विकसित देशों में समृद्ध लोग इससे प्रभावित थे और शायद लोगों ने सोचा कि इन लोगों को ये हो सकता है, तो हम कहीं के नहीं रहे। दुर्भाग्य से, भारत ने न केवल पश्चिम की तरफ देखा, बल्कि पश्चिम की तरफ बहुत आगे बढ़ते चले गए।”
लॉकडाउन से सरकार ने कोरोना समस्या को हल नहीं किया है
राजीव ने कहा कि “हमने कठिन लॉकडाउन लागू करने की कोशिश की, जो अभी भी कमजोर था। हम दोनों विकल्पों के बुरे परिणामों के बीच फंस गए। एक तरफ कमजोर लॉकडाउन यह सुनिश्चित करता है कि वायरस अभी भी मौजूद रहेगा। सरकार ने उस समस्या को हल नहीं किया है।” उन्होंने कहा कि “मेरे विचार में ठीक वैसा किए जाने की जरूरत थी, जैसा हम जापान और स्वीडन से सुन रहे हैं। वे आंकड़ों को भूल रहे हैं, चाहे वह स्वच्छता हो, मास्क या डिस्टेंसिंग हो। स्वीडन, जापान इनका पालन कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कठिन लॉकडाउन लागू करने का प्रयास किया जिसमें खामियां थीं। इसलिए मुझे लगता है कि हमें आखिर में दोनों तरफ से नुकसान हुआ। इस तरह के लॉकडाउन के बाद वायरस मौजूद रहेगा। आप इस वायरस की समस्या से नहीं निपट पाए…. लेकिन इसके साथ अर्थव्यवस्था तबाह हो गई।’
हम सिर्फ समर्थन की बात कर रहे हैं
उन्होंने कहा कि “किसी ने अगर मास्क नहीं पहना या सुबह की सैर के लिए कोई बाहर निकला, आप उन्हें डंडे मारते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं। आपने उन्हें देशद्रोही, गधा बता दिया। जिस तरह से हम अपने ही लोगों के साथ व्यवहार कर रहे हैं, उसकी तुलना में हम कहां हैं?” उन्होंने कहा “हम जापान, अमरीका के लोगों को 1000 डॉलर प्रति व्यक्ति देने की बातें सुनते हैं। हम यहां प्रोत्साहन के बारे में बात भी नहीं कर रहे हैं। हम सिर्फ समर्थन की बात कर रहे हैं, चाहे वह बड़े व्यवसायों, छोटे व्यवसाय और व्यक्तियों के लिए हो।”
विश्व युद्ध के दौरान भी दुनिया ऐसी बंद नहीं थी : राहुल गांधी
इस दौरान राहुल गांधी ने कहा कि ” देश में लॉकडाउन काफी अजीब है। मुझे नहीं लगता कि किसी ने कल्पना की थी कि दुनिया को इस तरह से बंद कर दिया जाएगा। मुझे नहीं लगता कि विश्व युद्ध के दौरान भी दुनिया बंद थी। तब भी चीजें खुली थीं। यह एकअनोखी और विनाशकारी घटना है। कांग्रेस नेता ने कहा कि “गरीब लोगों और प्रवासियों ने वास्तव में आत्मविश्वास खो दिया है। काफ़ी लोगों ने बोला है कि भरोसा खो दिया है, भरोसा ही नहीं बचा और और मुझे लगता है कि यह बहुत दुखद और देश के लिए खतरनाक है।”
पूर्ण लॉकडाउन लागू करने से बीमारी की प्रकृति में बदलाव 
उन्होंने कहा कि “मैं कुछ विशेषज्ञों और निष्णात लोगों से बात कर रहा था। और लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में ही, उनमें से एक ने मुझे जो कहा, वो प्रभावी था, उसने कहा, जिस पल एक पूर्ण लॉकडाउन लागू करते हो, तुम बीमारी की प्रकृति बदल रहे हो।” कांग्रेस नेता ने कहा कि “आप इस गैर घातक बीमारी को लोगों के दिमाग में एक घातक बीमारी बना रहे हैं। एक बार जब आप ऐसा कर लेते हैं, तो उसे पलटने के लिए बहुत समय और प्रयास चाहिए।”
लॉकडाउन को ऑन-ऑफ स्विच के रूप में न देखें
उन्होंने यह भी कहा कि लॉकडाउन को ऑन-ऑफ स्विच के रूप में न देखें। यह ऑन-ऑफ स्विच होने वाला नहीं है। एक बार जब आप लॉकडाउन में चले गए तो इसे फिर से खोलना आसान नहीं होगा। यह बेहद जटिल होने वाला है। आपके अनुसार हम पश्चिम की ओर क्यों देखते हैं?
राहुल ने कहा कि “हमारी स्थिति को देखते हुए, यह पूरी तरह से अलग है। हमारे पास प्रवासी और दैनिक मजदूर हैं और किसी कारण से, हम पश्चिम की ओर देखते हैं तो, मेरे लिए दिलचस्प सवाल यह है कि हम अपने समाधान के लिए अपने भीतर क्यों नहीं देखते हैं। पश्चिम या पूर्व की ओर देखने के बजाय, हमने यह क्यों नहीं कहा कि हम आत्मविश्वास से भरपूर देश हैं, अपने आप को देखें और भारतीय समाधान के साथ सामने आएं। वह एक प्राकृतिक विकल्प क्यों नहीं बना ?” 
केंद्र सरकार को एक समर्थन प्रणाली और Enabler के रूप में काम करना हैं
कांग्रेस नेता ने कहा कि “यह समय गुजर चुका है। इसलिए मेरे लिए रोडमैप बताना बहुत आसान है। उस समय कांग्रेस पार्टी में आंतरिक रूप से हमारी जो चर्चा थी, इसका जवाब हम विकेंद्रीकरण के जरिए दे सकते हैं। केंद्र सरकार को एक समर्थन प्रणाली और Enabler के रूप में काम करना है।” उन्होंने कहा कि कुछ चीजें जो केंद्र सरकार को करने की जरूरत है- हवाई यातायात, रेलवे। लेकिन फिर लड़ाई को हमें जिला स्तर तक ले जाना था, मुख्यमंत्री तक ले जाना था और उन्हें अनुमति देना था तथा इस विपदा से लड़ने के लिए सक्षम बनाना था।
लॉकडाउन खुलने के बाद संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि
राहुल ने कहा कि “अब अगर आप देखते हैं कि लॉकडाउन के बाद क्या हुआ है और यही कारण है कि मैं इसे एक असफल लॉकडाउन कहता हूं, यहां लॉकडाउन खुलने के बाद संक्रमित मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है।” उन्होंने कहा कि “यह बिल्कुल बुनियादी  है। मैंने देखा कि जर्मनी, अमेरिका, कोरिया, जापान ने अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर पैसा डाला। आप इसे बड़े व्यवसाय, छोटे व्यवसाय, मजदूर के रूप में नहीं हमारी अर्थव्यवस्था के रक्षण के रूप में देखते हैं।”
हर कीमत पर अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा करनी होगी
उन्होंने कहा कि “हमें हर कीमत पर अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा करनी होगी। जिस किसी को अभी सहयोग की जरूरत  है, उसे सहयोग दिया जाना चाहिए। तो यह एक रणनीति का दूसरा घटक होगा।” कांग्रेस नेता ने कहा कि “मेरा मुख्य रूप से यह मानना है कि जब आपके टॉप-डाउन की स्थिति होती है, तो वहां सहानुभूति नहीं होती है.. फिर आप मूल रूप से लोगों के लड़ने का आत्मविश्वास तोड़ देते हैं। मुझे नहीं पता कि आप इसके बारे में क्या सोचते हैं?”

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