दिल्ली में आप पार्टी की तीसरी बार सरकार बनने जा रही है। इसका सबसे बड़ा कारण ये रहा कि केजरीवाल सरकार ने शिक्षा, चिकित्सा, मुफ्त बिजली और पानी देने का फार्मूला अपनाया। अब जिसे देखते हुए दूसरे राज्य भी ‘दिल्ली मॉडल’ को अपना रहे हैं ।
दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्य पहले ही छोटे अस्पताल खोलने का ऐलान कर चुके हैं। वहीं महाराष्ट्र, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकारें फ्री बिजली देने का रोडमैप बनाने में जुट गयी हैं।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को दिल्ली विधानसभा चुनाव की मतगणना में देर शाम तक के रुझानों में आप को 70 सदस्यीय विधानसभा की 63 सीटों पर निर्णायक बढ़त मिल चुकी है। आप ने चुनाव प्रचार अभियान को बिजली, पानी, शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में किये गये कामों पर ही मुख्य रूप से केन्द्रित किया था।
चुनाव विश्लेषण से जुड़ी शोध संस्था एडीआर के संस्थापक प्रो जगदीप छोकर ने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में विभिन्न दलों के प्रचार अभियान से स्पष्ट है कि पूरा चुनाव, केजरीवाल सरकार के कामों और भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे पर केन्द्रित था।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रचार अभियान में दोनों दलों ने अपने अपने मुद्दे जनता के बीच ले जाने के लिये पूरी ताकत झोंक दी थी। अब चुनाव परिणाम की समीक्षा से स्पष्ट है कि लोगों ने केजरीवाल सरकार के कामों को वरीयता दी।’’
दिल्ली की तर्ज पर पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में 75 यूनिट बिजली फ्री देने की घोषणा कर दी है। जबकि महाराष्ट्र और झारखंड सरकारों ने इस योजना को लागू करने का रोडमैप तैयार करने के लिये अधिकारियों को कहा है।
इसके अलावा मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पिछले साल नवंबर में दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर राज्य में ‘संजीवनी क्लीनिक’ खोलने का ऐलान कर चुकी है। योजना के पहले चरण में राज्य के चार महानगर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में संजीवनी क्लीनिक खोले जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि केजरीवाल सरकार ने 2015 में सत्तासीन होने के बाद पीरागढ़ी में दिल्ली के पहले मोहल्ला क्लीनिक की शुरुआत की थी। इसके बाद तेलंगाना, कर्नाटक और झारखंड की सरकारें अपने अपने राज्य में मरीजों के नि:शुल्क इलाज के लिये ऐसे क्लीनिक खोलने की घोषणा कर चुकी हैं।
दिल्ली में फिलहाल 189 मोहल्ला क्लीनिक चल रहे हैं। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में 530 मोहल्ला क्लीनिक खोलने का लक्ष्य तय किया है। इसके अलावा दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सरकारी स्कूलों का कायाकल्प कर इन्हें निजी पब्लिक स्कूलों से बेहतर बनाने की योजना भी चर्चा में रही है। यह योजना सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिये यूरोप भेजने के बाद आकर्षण का केन्द्र बनी।