‘महाराणा: सहस्र वर्षों का धर्मयुद्ध’ नाम की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में संबोधन के दौरान ग्रहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत ने 1,000 साल तक अपनी संस्कृति, भाषा और धर्म के लिए लड़ाई लड़ी जो व्यर्थ नहीं गई और इस लड़ाई के दौरान कुर्बानियां देने वालों की आत्मा को आज भारत का पुनरुत्थान देखकर शांति मिलती होगी।शाह ने कहा कि किसी भी समाज को अपना उज्ज्वल भविष्य बनाना हो तो उसे अपने इतिहास से प्रेरणा लेनी चाहिए, उससे सीख लेनी चाहिए और अपने इतिहास से सीखकर अपना आगे का रास्ता प्रशस्त करना चाहिए।
शाह का लेखकों व इतिहासकारों को संदेश
इस अवसर पर उन्होंने मौजूदा लेखकों व इतिहासकारों का आह्वान किया कि वे इतिहास पर टीका -टिप्पणी छोड़कर देश के गौरवशाली इतिहास को संदर्भ ग्रंथ के रूप में जनता के सामने रखें।उन्होंने कहा, ‘‘जब हमारा प्रयास किसी से बड़ा होता है तो अपने आप झूठ का प्रयास छोटा हो जाता है। हमें प्रयास बड़ा करने पर ध्यान देना चाहिए। झूठ पर टीका-टिप्पणी करने से भी झूठ प्रचारित होता है। हमें कोई नहीं रोकता है, हमारा इतिहास लिखने से। अब हम स्वाधीन हैं। किसी के मोहताज नहीं हैं। हम हमारा इतिहास खुद लिख सकते हैं।’’
ग्रह मंत्री ने इस मौके पर वीर सावरकर को भी याद किया
शाह ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर नहीं होते तो 1857 का सत्य छिपा रह जाता।उन्होंने कहा, ‘‘इतिहास को देखने वाले देखते हैं कि इस युद्ध में कौन जीता कौन हारा। मगर उनको मालूम नहीं कि हारकर भी विजेता होने वाले लोगों के इतिहास से ही यह देश बना है। । सालों-साल लड़ाइयां लड़ीं। 1857 की क्रांति के बारे में भी हम कह सकते हैं कि हम हार गए थे। परंतु उनको मालूम नहीं कि उस क्रांति ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।’’शाह ने कहा, ‘‘हार और जीत के कारण इतिहास नहीं लिखा जाता, बल्कि वह घटना देश व समाज पर क्या परिणाम छोड़ती है, उससे इतिहास बनता है।