प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आकाशवाणी से हर माह प्रसारित किये जाने वाले अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ को सम्बोधित कर रहे हैं । पीएम मोदी के पिछले साल दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका यह 15वां ‘मन की बात’ कार्यक्रम होगा और कुल मिलाकर यह 68वां कार्यक्रम है।
पीएम मोदी ने कहा कि आमतौर पर ये समय उत्सव का होता है, जगह-जगह मेले लगते हैं, धार्मिक पूजा-पाठ होते हैं । कोरोना के इस संकट काल में लोगों में उमंग तो है, उत्साह भी है, लेकिन, हम सबको मन को छू जाए, वैसा अनुशासन भी है। उन्होंने कहा कि हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे सामने आएगी- हमारे पर्व और पर्यावरण। इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारू आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन, उनके शब्दों में ‘60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारू समाज के लोगों ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और ये सदियों से है। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऋगवेद में मंत्र है- अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः अर्थात अन्नदाता को नमन है। किसान को नमन है। किसानों ने कोरोना जैसे कठिन समय में अपनी ताकत को साबित किया है।
हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है। पीएम मोदी ने कहा कि खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ने वाले भी होते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि Global toy industry, 7 लाख करोड़ से भी अधिक की है। 7 लाख करोड़ रुपयों का इतना बड़ा कारोबार, लेकिन भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है। जिस राष्ट्र के पास इतने विरासत हो, परम्परा हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए?
पीएम मोदी ने कहा कि “खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं – अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी संवार सकते हैं।” उन्होंने कहा कि भारतीयों के innovation और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे यहां के बच्चे, हमारे विद्यार्थी, अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं, अपना सामर्थ्य दिखा पाएं, इसमें बहुत बड़ी भूमिका nutrition की भी होती है। पूरे देश में सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में सभी की भागीदारी आवश्यक है। जन-भागीदारी ही इसको सफल करती है। पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में, देश में काफी प्रयास किए गए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल देश है, खान-पान में ढेर सारी विविधता है। इसीलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हर क्षेत्र के मौसम, वहां के स्थानीय भोजन और वहां पैदा होने वाले अन्न, फल और सब्जियों के अनुसार एक पोषक, nutrient rich, diet plan बने।