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UNSC की बैठक में PM मोदी ने समुद्री सुरक्षा के लिए दुनिया को बताए पांच सिद्धांत, बोले- यह हमारी साझा धरोहर

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समुद्र को अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा बताते हुए आज कहा कि हमारी इस साझी धरोहर के वातावरण एवं संसाधनों की रक्षा करना हम सबके भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत बतौर अध्यक्ष पहली बार अगुवाई कर रहा है और इस अवसर पर भारत की ओर से पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की अगवानी की और देश को गर्व करने का मौका दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समुद्र को अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा बताते हुए आज कहा कि हमारी इस साझी धरोहर के वातावरण एवं संसाधनों की रक्षा करना हम सबके भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समुद्री सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय खुली बहस की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही। वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मोदी ने कहा, ‘‘समंदर हमारी साझा धरोहर है, हमारे समुद्री रास्ते इंटरनेशनल ट्रेड की लाइफलाइन है और सबसे बड़ बात ये है कि समंदर हमारे ग्रह के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’’
प्रधानमंत्री ने सिंधुघाटी सभ्यता में लोथल बंदरगाह से होने वाले अंतरराष्ट्रीय कारोबार और मानवता के विकास के उदारण रखते हुए विश्व समुदाय के समक्ष समुद्री सुरक्षा के पांच मूल सिद्धांत साझा किये। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वैधानिक समुद्री कारोबार से सभी प्रकार की बाधाओं को हटाना चाहिए। क्योंकि हम सभी की समृद्धि समुद्री व्यापार की सक्रिय गति पर निर्भर है। इसमें आई अड़चनें पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हो सकती हैं।
मोदी ने कहा कि समुद्री विवादों का समाधान शांतिपूर्ण और अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर ही होना चाहिए। आपसी भरोसे और विश्वास के लिए यह अति आवश्यक है। इसी माध्यम से हम वैश्विक शान्ति और स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने हिन्द महासागर क्षेत्र में सबके लिए सुरक्षा एवं प्रगति के सागर सिद्धांत को भी साझा किया।
उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक आपदाओं और शासनेत्तर ताकतों द्वारा पैदा किए गए समुद्री खतरों का मिल कर सामना करना चाहिए। इस विषय पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ने के लिए भारत ने कई कदम लिए हैं। उन्होंने चौथे एवं अंतिम सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें समुद्री वातावरण और समुद्री संसाधनों को संजो कर रखना होगा। जैसा कि हम जानते हैं, महासागरों का जलवायु पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, हमें अपने समुद्री वातावरण को प्लास्टिक और तेल के रिसाव जैसे प्रदूषणों से मुक्त रखना होगा।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वर्ष 202।22 के लिए भारत को अस्थायी सदस्य चुना गया है। सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता हर माह बदलती है। इस बार अगस्त माह में भारत को अध्यक्षता मिली है। इस माह भारत समुद्री सुरक्षा, शांतिरक्षक अभियानों और आतंकवाद से मुकाबले के तीन प्रमुख क्षेत्रों में परिचर्चाओं का आयोजन कर रहा है।
इसी क्रम में ‘समुद्री सुरक्षा का विस्तार- अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मुद्दा’ शीर्षक से इस परिचर्चा में प्रधानमंत्री ने अध्यक्षता की। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की किसी बैठक की अध्यक्षता की है। अन्य दोनों विषयों -शांतिरक्षक अभियान तथा आतंकवाद से मुकाबला, पर परिचर्चाओं में विदेश मंत्री एस जयशंकर स्वयं न्यूयॉर्क जाकर वहां बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

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