पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा की अगुवाई वाले संगठन ‘ कंसर्न्ड सिटिजंस ग्रुप ’ (सीसीजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कश्मीर में ज्यादातर लोगों का मानना है कि महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से समर्थन वापसी का भाजपा का फैसला अगले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राष्ट्रीय पार्टी की ‘‘ किसी बड़ी रणनीति ’’ का हिस्सा है।
सीसीजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा , ‘‘ ज्यादातर कश्मीरियों का मानना है कि भाजपा ने जिस तरीके से महबूबा मुफ्ती की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार गिराई , उसका घाटी के हालात से कोई लेना – देना नहीं था …. स्थानीय धारणा है कि समर्थन वापसी 2019 के आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए भाजपा की किसी बड़ी रणनीति का हिस्सा था। ’’
भाजपा के मौजूदा नेतृत्व के मुखर आलोचक सिन्हा (80) ने अप्रैल में पार्टी छोड़ दी थी और देश में ‘‘ लोकतंत्र बचाने ’’ का अभियान शुरू करने की घोषणा की थी।
सीसीजी जम्मू – कश्मीर में समाज के विभिन्न तबकों से अनौपचारिक बातचीत करती रही है। अपनी रिपोर्ट में सीसीजी ने कहा कि भाजपा को शायद महसूस हुआ कि पीडीपी के साथ रहने से ‘‘ एक छवि बनती जा रही है कि पार्टी अलगाववादियों का पक्ष लेती है और उनकी नीतियां कश्मीर घाटी पर ज्यादा केंद्रित हैं , जिससे जम्मू और लद्दाख का नुकसान होता है। ’’
रमजान के महीने में केंद्र के ‘‘ एकतरफा संघर्षविराम ’’ का जिक्र करते हुए सीसीजी ने कहा कि ज्यादातर कश्मीरियों का मानना है कि संघर्षविराम के दो सकारात्मक परिणाम सामने आए कि आम लोगों के मारे जाने और प्रदर्शनकारियों की ओर से पत्थरबाजी की घटनाओं में जबर्दस्त कमी आई , ‘‘ क्योंकि कोई आक्रामक अभियान नहीं चलाया गया। ’’
सीसीजी के सदस्यों ने 19 से 23 जून तक घाटी का दौरा किया और सिविल सोसाइटी के सदस्यों , पत्रकारों और पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती एवं उमर अब्दुल्ला , हुर्रियत के नेताओं मीरवाइज उमर फारूक और अब्दुल गनी भट सहित कई अन्य से मुलाकात की।