पटना : कृषि मंत्री डा. प्रेम कुमार ने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई एक उन्नत सिंचाई प्रणाली है जिसके द्वारा पौधे के जड़ क्षेत्र में विशेष रूप से निर्मित प्लास्टिक पाईपों द्वारा कम समय अन्तराल पर पानी दिया जाता है तथा पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 60 प्रतिशत कम जल की खपत होती है। इस प्रणाली के अन्तर्गत ड्रीप सिंचाई पद्धति, स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति एवं रेनगन सिंचाई पद्धति उपयोग किया जाता है। इसके अन्तर्गत जल वितरण लाइनों और साज-सामान कन्ट्रोल हेड प्रणाली एवं उर्वरक टैंक रहते हैं।
इस सिंचाई प्रणाली से फसल की उत्पादकता में 40 से 50 प्रतिशत की वृद्धि होती है तथा उत्पाद की गुणवता भी उच्च स्तर की होती है। इस सिंचाई प्रणाली से मजदूरों की लागत खर्च में कमी तथा पौधों पर रोगों के प्रकोप में भी कमी आती है। कृषि मंत्री ने कहा कि किसान भाई-बहन इस प्रणाली को अपनाकर यदि उर्वरक देते हैं तो इससे लगभग 25 से 30 प्रतिशत उर्वरक की बचत होती है।
वर्ष 2015-16 में भारत सरकार द्वारा इस सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देने हेतु प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना प्रारंभ की गयी है। वर्तमान में बिहार में इस सिंचाई प्रणाली लगभग कुल आच्छादित क्षेत्र का 0.5 प्रतिशत क्षेत्र में ही अपनाया जा रहा है।
कृषि रोड मैप 2017-22 में इस प्रणाली को कम-से-कम कुल आच्छादित क्षेत्र के लगभग 2 प्रतिशत क्षेत्रों में प्रतिष्ठापित किये जाने का लक्ष्य है, ताकि बिहार के सब्जी एवं फल के उत्पादकता एवं उत्पादन में बढ़ोतरी हो सके। इस योजना के अन्तर्गत किसानों को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त टॉप-अप प्रदान करते हुए सभी श्रेणी के कृषकों को 75 प्रतिशत सहायता अनुदान देने का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में इस योजनान्तर्गत भारत सरकार द्वारा केन्द्रांश के रूप में कुल 16 करोड़ रूपये राज्य के लिए कर्णांकित किया गया है। इस राशि के विरूद्ध कुल 37.73 करोड़ रूपये की योजना तैयार कर एसएलएससी से पारित करा लिया गया है तथा योजना स्वीकृति की प्रक्रिया में है।
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