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प्रधान न्यायाधीश बोले- न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ एक महिला द्वारा लगाये गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने विशेष सुनवाई की।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ एक महिला द्वारा लगाये गए यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने विशेष सुनवाई की। महिला उच्चतम न्यायालय की पूर्व कर्मचारी है और उसने सीजेआई पर यौन उत्पीड़न और अत्याचार के आरोप लगाए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के 22 न्यायाधीशों के आवास पर महिला के शपथपत्रों की प्रतियां भेजी गईं जो शनिवार को सार्वजनिक हो गईं। इसके बाद प्रधान न्यायाधीश गोगोई की अगुवाई में तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया गया। सीजेआई की अदालत संख्या एक में सुनवाई के दौरान आरोपों से आहत सीजेआई ने कहा,‘‘ आरोप अविश्वसनीय है।”

उन्होंने कहा, ”यह अविश्वनीय है। मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए । न्यायाधीश के तौर पर 20 साल की निस्वार्थ सेवा के बाद मेरा बैंक बैलेंस 6.80 लाख रुपये है। कोई मुझे धन के मामले में नहीं पकड़ सकता, लोग कुछ ढूंढना चाहते हैं और उन्हें यह मिला।”

उन्होंने कहा ,”इसके पीछे कोई बड़ी ताकत होगी, वे सीजेआई के कार्यालय को निष्क्रिय करना चाहते हैं लेकिन मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा और बिना किसी भय के न्यायपालिका से जुड़े अपने कर्तव्य पूरे करता रहूंगा।” सीजेआई ने कहा, ”मैंने आज अदालत में बैठने का असामान्य और असाधारण कदम उठाया है क्योंकि चीजें बहुत आगे बढ़ चुकी हैं। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता।”

इस पीठ में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और संजीव खन्ना शामिल थे। पूर्व कर्मचारी ने अपने हलफनामे में दो घटनाओं का जिक्र किया है जब गोगोई ने कथित तौर पर उसका उत्पीड़न किया। दोनों ही घटनाएं कथिततौर पर अक्टूबर 2018 में हुईं। दोनों घटनाएं सीजेआई के तौर पर उनकी नियुक्ति के बाद की हैं। सुप्रीम कोर्ट के महासचिव संजीव सुधाकर कलगांवकर ने इस बात की पुष्टि की है कि अनेक न्यायाधीशों को एक महिला के पत्र प्राप्त हुए हैं। साथ ही कहा कि महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप दुर्भावनापूर्ण और निराधार हैं।

उन्होंने कहा, ”इसमें कोई शक नहीं है कि ये दुर्भावनापूर्ण आरोप हैं।” अदालत ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता ‘बेहद खतरे’ में है। साथ ही कहा कि वह इस बात को मीडिया के विवेक पर छोडती है कि सीजेआई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों के संबंध में जिम्मेदार ढंग से पेश आना है। गौरतलब है कि इस पीठ का गठन उस वक्त किया गया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के संबंध में अधिकारियों को बताया। विशेष सुनवाई शनिवार सुबह शुरू हुई।

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