नीति आयोग ने सोमवार को कहा कि भारत ऑनलाइन विवाद समाधान के मामले में दुनिया में अगुवा बन सकता है। आयोग ने इसके लिये सुझाव दिया कि सरकार को विधि प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्थापना तथा तेजी से डिजिटल तरीके से विवाद समाधान की व्यवस्था अपनाने के लिये निजी क्षेत्र को कर प्रोत्साहन देने जैसे लक्षित कदम उठाने चाहिए।
नीति आयोग ने इस बारे में सुझाव देने के लिये सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अगुवाई में समिति गठित की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि यदि ‘ऑनलाइन’ विवाद समाधान (ओडीआर) व्यवस्था को मुख्यधारा में लाना है और इसे देश में व्यापक बनाना है तो सरकार को अपेक्षित बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के साथ क्षमता में पर्याप्त वृद्धि करनी होगी।
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रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत वैश्विक ओडीआर आंदोलन में अगुवा बन सकता है...हालांकि, भारत में ‘ऑनलाइन’ विवाद समाधान व्यवस्था को मजबूती देनी है, तो सरकार और न्यायपालिका को मिसाल पेश करते हुए कदम उठाने होंगे।’’ ‘ऑनलाइन’ विवाद समाधान व्यवस्था में विवादों का समाधान प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिये किया जाता है। इसमें कहा गया है, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि आने वाले वर्षों में निजी क्षेत्र को नवोन्मेष करने और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाए, ताकि विवाद समाधान परिवेश और सरकार दोनों को दीर्घकाल में लाभ हो सके।’’
‘‘इसके लिए, कानूनी प्रौद्योगिकी केंद्रों की स्थापना और कर प्रोत्साहन जैसे लक्षित कदम उठाये जा सकते हैं।’’ रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर ओडीआर व्यवस्था को देश में मजबूत बनाना है, तो अंतिम उपयोगकर्ताओं तक डिजिटल बुनियादी ढांचे की पहुंच जरूरी है। साथ ही पेशेवरों और सेवाप्रदाताओं की क्षमता बढ़ाने की भी जरूरत होगी। इसमें ‘ऑनलाइन’ विवाद समाधान व्यवस्था के लाभ का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इसमें खर्च कम होता है और यह सुगम तथा कुशल है।