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पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद पर विदेश मंत्रालय ने कहा – दोनों देशों ने छठे दौर की वार्ता के नतीजों का सकारात्मक मूल्यांकन किया

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद पर बुधवार को एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता की। दोनों देशों ने गलतफहमी को टालने तथा जमीन पर स्थिरता कायम रखने के लिए छठे दौर की सैन्य वार्ता में लिए गए फैसलों को क्रियान्वित करने पर जोर दिया।

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद पर बुधवार को एक और दौर की कूटनीतिक वार्ता की। दोनों देशों ने गलतफहमी को टालने तथा जमीन पर स्थिरता कायम रखने के लिए छठे दौर की सैन्य वार्ता में लिए गए फैसलों को क्रियान्वित करने पर जोर दिया। 
सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वयन के लिए कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के तहत दोनों देशों के राजनयिकों ने एक और दौर की डिजिटल वार्ता की, लेकिन माना जाता है कि गतिरोध को सामाप्त करने की कार्यवाही में तेजी लाने को लेकर वार्ता का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला और दोनों पक्ष वार्ता प्रक्रिया को जारी रखने पर सहमत हुए। 
वार्ता के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मौजूदा स्थिति की समीक्षा की और पिछले हफ्ते हुई अपने वरिष्ठ कमांडरों की छठे दौर की बैठक के नतीजों का सकारात्मक रूप से मूल्यांकन किया। 
उन्होंने कहा कि यह सहमति बनी कि वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के बीच अगले दौर की बैठक जल्द होनी चाहिए जिससे कि दोनों पक्ष मौजूदा द्विपक्षीय संबंधों और प्रोटोकॉल के अनुरूप सैनिकों की जल्द और पूर्ण वापसी की दिशा में काम कर सकें तथा पूर्ण शांति एवं स्थिरता बहाल हो सके। 
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में यह भी कहा कि दोनों पक्ष कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर करीबी संपर्क रखने पर सहमत हुए। 
डब्ल्यूएमसीसी वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव ने किया, जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय विभाग के महानिदेशक हांग लियांग ने किया। 
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों अधिकारी दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी पांच सूत्री सहमति को जल्द से जल्द क्रियान्वित करने पर सहमत हुए। 
भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच 10 सितंबर को मॉस्को में पांच सूत्री सहमति बनी थी। 
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक से अलग अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी। 
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘उन्होंने वरिष्ठ कमांडरों की पिछले दौर की बैठक के बाद जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में उल्लिखित कदमों को लागू करने की जरूरत पर जोर दिया, ताकि गलतफहमी को टाला जा सके और जमीन (सीमा पर) पर स्थिरता कायम रखी जा सके। इस संदर्भ में जमीनी कमांडरों के बीच खास तौर पर संचार मजबूत करने पर दोनों पक्षों ने जोर दिया।’’ 
दोनों पक्षों के कोर कमांडरों ने 21 सितंबर को करीब 14 घंटे की वार्ता की थी। इसके बाद उन्होंने तनाव घटाने के लिए कुछ कदमों की घोषणा की थी। 
इन कदमों में अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक न भेजना, जमीन पर एकतरफा तरीके से स्थिति में बदलाव करने से दूर रहना तथा मुद्दों को और जटिल बना सकने वाली कार्रवाई टालना शामिल था। 
इस बीच, चीनी राजदूत सन वीडोंग ने एक कार्यक्रम में कहा कि उनके देश का मानना है कि भारत और चीन के संबंधों का व्यापक क्षेत्रीय एवं वैश्विक महत्व है। दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ संबंध विश्व स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। 
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और चीन पड़ोसी हैं तथा वे अलग नहीं हो सकते। इसलिए सौहार्द के साथ रहना एकमात्र विकल्प है। अंतत: भारत और चीन के संबंधों से धुंध छंटेगी और ये वापस पटरी पर आ जाएंगे।’’  

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