कश्मीर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावे को सिरे से खारिज करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को स्पष्ट कहा कि प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है और पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा।
कश्मीर को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दावे पर राज्यसभा में अपनी ओर से दिए गए एक बयान में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “हम सदन को पूरी तरह आश्वस्त करना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है।”
विदेश मंत्री ने यह भी कहा, “हम अपना रूख फिर से दोहराते हैं कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा।” उन्होंने कहा, “पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद, लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के अंतर्गत ही होगी।”
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विदेश मंत्री के इस बयान के बाद कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने प्रधानमंत्री से इस विषय पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। सभापति एम वेंकैया नायडू ने विधायी दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद कहा कि उन्हें कांग्रेस के आनंद शर्मा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा के ट्रंप के बयान पर नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं लेकिन उन्होंने इन्हें अस्वीकार कर दिया है लेकिन सदस्य शून्यकाल में अपनी बात रख सकते हैं।
नायडू ने कहा कि यह बेहद संवदेनशील और देश की एकता से जुड़ा मुद्दा है जिस पर समूचे देश और दोनों सदनों की ओर से केवल एक ही संदेश जाना चाहिए। शर्मा और राजा ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बयान पर गंभीर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह राष्ट्र की एकता और अखंडता से जुड़ा मुद्दा है और खुद प्रधानमंत्री मोदी को सदन में इस पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
इसके बाद एस जयशंकर ने इस मुद्दे पर अपना वक्तव्य देते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि मोदी ने ट्रंप के सामने कभी भी इस तरह का प्रस्ताव नहीं रखा और इस मुद्दे पर भारत के रूख में कोई बदलाव नहीं आया है। वही, नायडू ने कहा कि सदस्यों को अपने विदेश मंत्री के बजाय अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर ज्यादा विश्वास है।
उन्होंने सदस्यों से कहा कि वे राष्ट्र हित के इस मुद्दे पर राजनीति न करें और उनके इस व्यवहार से गलत संदेश जा रहा हैं। इस पर तृणमूल कांग्रेस के सदन में नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कुछ कहा जिससे सभापति उत्तेजित हो गये और उन्होंने सदन की कार्यवाही बारह बजे तक स्थगित कर दी। लेकिन विपक्षी सदस्य प्रधानमंत्री से स्प्ष्टीकरण की मांग पर अड़े रहे और अपने स्थान से आगे आ गए।
सदन में सदस्यों का शोर शराबा जारी रहा। सभापति ने सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और शून्यकाल चलने देने का अनुरोध किया। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर 15 मिनट पर ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।