उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने रविवार को निजी क्षेत्र समेत सभी संबंधित पक्षों से प्रौढ़ शिक्षा एवं कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में सरकार के प्रयासों में हाथ बंटाने की अपील की। हर वयस्क को साक्षर बनाने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने लोगों के बीच डिजिटल एवं वित्तीय साक्षरता की आवश्यकता विशेष रूप से सामने रखी।
यहां प्रतिष्ठित नेहरू एवं टैगोर साक्षरता पुरस्कार प्रदान करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह निराशाजनक स्थिति है कि आईटी एवं डिजटलीकरण के क्षेत्र में काफी प्रगति करने के बाद भी भारत में दुनिया के सबसे अधिक निरक्षर लोग हैं।
उपराष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान के अनुसार नायडू ने इस चुनौती से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि साक्षरता अभियान जनांदोलन बने। उन्होंने कहा, ‘‘ गांवों एवं कॉलोनियों में हर शिक्षित युवक को इस बात के लिए आगे आना चाहिए कि वह अपने आसपास या समुदाय से एक व्यक्ति को पढ़ना-लिखना सिखाए और यह भी सिखाए कि डिजिटल उपकरणों का उपयोग कैसे करना है एवं सरकारी योजनाओं का लाभ कैसे उठाना है। ’’ उन्होंने इसे शिक्षित युवाओं की निजी सामाजिक जिम्मेदारी ‘पीएसआर’करार दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘ हर एक -एक को पढ़ाओ’ बस महज एक नारा नहीं रहे बल्कि यह युवकों के लिए प्रेरणादायी ताकत बनना चाहिए। इंडियन एडल्ट एजुकेशन एसोसिएशन उन व्यक्तियों और संगठनों को ये पुरस्कार प्रदान करता है जिन्होंने शिक्षा एवं राष्ट्रीय विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया हो। प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान को लेकर पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं की तारीफ करते हुए उपराष्ट्रपति ने सभी से भारत को पूर्ण साक्षर एवं शिक्षित राष्ट्र बनाने का निश्चय करने का आह्वान किया।