पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने स्पष्ट किया है कि कार्बन उत्सर्जन के कारण उपजे वैश्विक पर्यावरण संकट की समस्या में भारत अपनी सीमित भागीदारी के बावजूद इस चुनौती से निपटने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
जावड़ेकर ने सोमवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान बताया कि भारत, अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति के लिये गैर पारंपरिक स्रोतों पर अपनी निर्भरता को लगातार बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि पेरिस समझौते के तहत सदी के अंत तक धरती का तापमान दो डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देने के सभी देशों के लक्ष्य को देखते हुये भारत ने 2030 तक अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 33 से 35 प्रतिशत कम करने की दिशा में प्रभावी कार्ययोजना को लागू किया है।
इसके परिणामस्वरूप भारत में 28 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा और 78 हजार मेगावाट गैर पारंपरिक स्रोतों पर आधारित ऊर्जा का उत्पादन शुरु कर दिया है। कार्बन उत्सर्जन में भारत की भागीदारी से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में जावडेकर ने कहा कि भारत में सालाना प्रति व्यक्ति उत्सर्जन का स्तर 1.92 टन है।
इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर भारत का कार्बन उत्सर्जन 253 करोड़ टन प्रति वर्ष है जो कि चीन के लगभग 1000 करोड़ टन और अमेरिका के लगभग 500 करोड़ टन सालाना उत्सर्जन की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा कि भारत, इस समस्या का कारण नहीं है लेकिन समाधान की दिशा में विश्व के लिये कारगर सहयोगी की भूमिका निभा रहा है।