कोरोना महामारी से बचाव और उपचार के लिए वैक्सीन बनाने के निरंतर प्रयास जारी है। दुनिया में कई वैक्सीन दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल में पहुंच चुकी हैं और टीकों के बाजार में आने से महीनों पहले खरीद की रेस शुरू हो चुकी है। कई बड़े और अमीर देश अपने नागरिकों के लिए प्री-बुकिंग में जुटे हैं। हालांकि, भारत ने इसमें अच्छी बढ़त बना ली है।
भारत वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का इस्तेमाल करते हुए 60 करोड़ डोज का ऑर्डर दे चुका है और 1 अरब अन्य डोज के लिए बातचीत में जुटा है, जो कि कम से कम आधी आबादी के टीकाकरण के लिए पर्याप्त है। शरीर में एंटीबॉडी विकसित करने के लिए अधिकतर संभावित वैक्सीन के 2 डोज लेने होंगे। बता दें कि कोरोना वैक्सीन की प्री-बुकिंग की दौड़ में केवल अमेरिका भारत से आगे चल रहा है। दरअसल, अमेरिका ने 81 करोड़ डोज का प्री-ऑर्डर दे दिया है और 1.6 अरब डोज के लिए मोलभाव में जुटा है।
दुनिया की पूरी आबादी को कवर करने के लिए पर्याप्त वैक्सीन उत्पादन में 3 से 4 साल का वक्त लगेगा, अमीर और मिडिल आय वाले देश, जिनके पास मैन्युफैक्चरिंग क्षमता भी है, पहले से ही वैक्सीन की खरीदारी में जुट गए हैं। अमेरिका ने 81 करोड़ डोज का ऑर्डर कंफर्म कर लिया है, अन्य 1.6 अरब डोज को लेकर बातचीत चल रही है। इसके बाद भारत है जिसने 60 करोड़ डोज की बुकिंग कर ली है और अन्य 1 अरब डोज खरीदने की प्रक्रिया में शामिल है।
यूरोपीय यूनियन ने 40 करोड़ डोज बुक किए हैं और 1.565 अरब की बुकिंग के लिए बातचीत जारी है। लेकिन यदि आबादी को कवर करने की फीसदी के मामले को देखें तो कनाडा ने आबादी के मुकाबले 527 फीसदी वैक्सीन बुकिंग की है और इसके बाद यूके ने 277% प्री बुकिंग की है।