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भारत को अपने तरफ की एलएसी के आत्मसम्मान की रक्षा करने की जरूरत : राम माधव

भाजपा महासचिव राम माधव ने भारत-चीन के बढ़ते तनाव के बीच अक्साई चिन पर भारत के दावे को दोहराया है।

भाजपा महासचिव राम माधव ने भारत-चीन के बढ़ते तनाव के बीच अक्साई चिन पर भारत के दावे को दोहराया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि भारत जिस तहर की मुखरता पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर दिखाता है उसी तरह की तत्परता चीन के साथ भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दिखानी चाहिए।
माधव ने कहा कि मौजूदा संघर्ष का समाधान चीन के साथ कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर चीन को सक्रिय रूप से घेरना है। भाजपा नेता आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ द्वारा भारत-चीन सीमा विवाद पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, हमारा दावा केवल एलएसी नहीं है। हमारा दावा इससे आगे का है।
जब बात जम्मू एवं कश्मीर की आती है तो, इसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भी शामिल है, उसी तरह से लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश की बात आती है तो इसमें गिलगित-बल्टिस्तान और अक्साई चिन भी शामिल है।

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माधव ने हालांकि जोर देकर कहा कि भारत चीन के साथ युद्ध नहीं चाहता है, लेकिन भारत को अपने तरफ की एलएसी के आत्मसम्मान की रक्षा करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि आज का चीन ज्यादा आक्रामक है। लेकिन उन्होंने दावा किया कि आज का आक्रामक चीन मुखर भारत का नतीजा है।
भाजपा के महासचिव ने दावा किया कि चीन अपनी इच्छा से कभी भी सीमा विवाद को सुलझाना नहीं चाहता है। यही वजह है कि जब पी.वी. नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे, चीन ने मौजूदा शब्द को आपसी समझौते में डालने से इनकार कर दिया था।
माधव ने चीन की आक्रामकता की वजह पुरानी राजनीतिक प्रतिक्रियाओं को बताया और कहा, हम हमेशा शांति चाहते हैं। उन्होंने सूची बताते हुए कहा कि चाहे 1988 में राजीव गांधी, 1993 में नरसिम्हा राव हो या देवेगौड़ा या फिर यूपीए सरकार हो, सभी ने ड्रैगन से धोखा खाने के लिए चीन के साथ शांति स्थापना की कोशिश की।

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