भारत का कहना है कि बहुपक्ष में दृढ़ विश्वास होने के नाते वह जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु नेतृत्व करने के लिए तैयार है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बुधवार को जलवायु परिवर्तन पर उच्चस्तरीय बैठक में कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन और पेरिस समझौते के लिए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु वित्त और प्रौद्योगिकी के लिए विश्व को एक रोडमैप की जरूरत है।’ भारत के नेतृत्व के उदाहरण के लिए सुषमा ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का हवाला दिया।
उन्होंने कहा कि फ्रांस के साथ शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर पहले ही 68 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना और लागत को कम करना है। उन्होंने कहा कि भारत अगले सप्ताह नई दिल्ली में आईएसए के प्रथम महासभा में महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का स्वागत करने को लेकर आशान्वित हैं। सुषमा ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन से निपटने की हमारी प्रतिबद्धता हमारे व्यवहार में निहित है क्योंकि हम पृथ्वी को अपनी मां समझते हैं।’
सुषमा स्वराज ने भारत की धरोहर को समझाते हुए कहा कि प्राचीन भारत परंपरा ब्रह्मांड के पांच तत्वों को गर्भित करती है। ये पांच तत्व अंतरिक्ष, जल, वायु, पृथ्वी और आग है। उन्होंने कहा, ‘समस्या तब उत्पन्न होती है, जब इनके बीच का साम्य गड़बड़ा जाता है। वायुमंडल से लेकर समुद्र तक हमारी गतिविधियां हमें विनाश की ओर ले जा रही हैं।’ सुषमा स्वराज ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन से निपटने के हिस्से के तहत भारत ने 2022 तक 175 गीगावॉट सौर और पवन ऊर्जा के सृजन के लक्ष्य को निर्धारित किया है और दो अरब डॉलर एवं चार गीगावॉट बिजली बचाते हुए 30 करोड़ एलईडी बल्ब लगाए हैं। महासभा सत्र की बैठक से इततर गुटेरेस द्वारा आहूत बैठक में सुषमा स्वराज चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बगल में बैठी थी और दोनों को अनौपचारिक रूप से बातें करते भी देखा गया।