राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि हिंद-प्रशांत के साथ भारत का जुड़ाव कई सदियों पुराना है और देश रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में एक मुक्त, संतुलित, नियम-आधारित और स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था का समर्थन करता है।राष्ट्रपति कोविंद ने तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात में प्रतिष्ठित 'इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस' में शनिवार को युवा छात्रों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि भारत का दृष्टिकोण संबंध और सहयोग पर आधारित है और सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण में इसकी झलक मिलती है।विदेश मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा, ''सागर हिंद महासागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र दोनों के प्रति हमारे दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है।''क्षेत्र में चीन की आक्रामकता की ओर इशारा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, '' हिंद-प्रशांत शब्द भू-राजनीतिक शब्दावली में हाल ही में जोड़ा गया है, लेकिन इस क्षेत्र के साथ भारत का जुड़ाव कई सदियों पुराना है। क्षेत्र की गतिशीलता और शक्ति इसे एक वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाती है। हम हिंद-प्रशांत में एक मुक्त, संतुलित, नियम-आधारित और स्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था का समर्थन करते हैं।''
भारत, अमेरिका और कई अन्य विश्व शक्तियां संसाधनों से संपन्न इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य युद्धाभ्यास की पृष्ठभूमि में एक स्वतंत्र, मुक्त और संपन्न हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बात कर रही हैं।चीन लगभग पूरे विवादित दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान बनाए हैं। पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है।कोविंद ने कहा कि हाल के वर्षों में भारत की विदेश नीति के प्रमुख स्तंभों में से एक ''पड़ोसी पहले'' नीति रही है, जिसमें संपर्क, व्यापार व निवेश बढ़ाने और एक सुरक्षित तथा स्थिर पड़ोस का निर्माण करना है।राष्ट्रपति फिलहाल तुर्कमेनिस्तान की यात्रा पर हैं। तुर्कमेनिस्तान के बाद वे 4 से 7 अप्रैल के बीच नीदरलैंड की राजकीय यात्रा पर होंगे।