प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि यूगांडा के साथ व्यापार घाटे के मुद्दे का समाधान करने को भारत इच्छुक है। उन्होंने दोनों देशों के व्यापारी समुदाय से द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिये अनुकूल स्थिति का पूरा उपयोग करने का आग्रह किया। दो दिन की यात्रा पर यहां आये प्रधानमंत्री मोदी ने उद्योग मंडल सीआईआई (भारतीय उद्योग परिसंघ) तथा प्राइवेट सेक्टर फाउंडेशन आफ यूगांडा द्वारा आयोजित भारत-यूगांडा व्यापार मंच में व्यापारियों को संबोधित करते हुए यह बात कही। आपसी व्यापार में यूगांडा का निर्यात तुलनात्मक रूप से अभी बहुत कम है। बैठक में मौजूद यूगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसावेनी ने दोनों देशों के उद्योगपतियों से व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिये उपलब्ध अवसरों का उपयोग करने को कहा।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मुसावेनी ने दोनों देशों के बीच व्यापार असुंतलन के मुद्दे पर चर्चा की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के मौजूदा स्तर को रेखांकित किये और व्यापार बढ़ाने के साथ उसे विविध रूप देने की इच्छा जतायी। साथ ही दोनों नेताओं ने व्यापार असुंतलन दूर करने तथा व्यापार सुगम बनाने की आकांक्षा जताई। मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति मुसावेनी ने यह सही कहा है कि भारत और यूगांडा के बीच व्यापार असुंतलन है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां इसे (व्यापार असंतुलन) दूर करने के लिये आया हूं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत यूगांडा के साथ व्यापार घाटे के समधान के लिये कदम उठाने को इच्छुक है। हमें दोनों देशों के बीच व्यापार के लिये अनुकूल परिस्थिति का पूर्ण रूप से उपयोग करना है।
कम्पाला में PM मोदी ने सरदार पटेल की आवक्ष-प्रतिमा का किया अनावरण
कामपाला में भारतीय उच्चायोग के अनुसार भारत का यूगांडा को निर्यात 2016 में 52.40 करोड़ डालर था जबकि यूगांडा से आयात केवल 6.82 करोड़ डालर था। मोदी ने कहा, ‘‘मैं जब भारत और यूगांडा के बीच आर्थिक संबंधों की तुलना करता हूं , मैं इसे दोनों के लिये पूर्ण रूप से लाभदायक पाता हूं। लेकिन हम पीछे रह रहे हैं और इस स्थित का लाभ नहीं उठा पाये हैं। अगर हम बेहतर और स्पष्ट रणनीति के साथ आगे बढ़े, मुझे लगता है कि हम कहीं आगे जा सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि भारत में किसी के लिये भी निवेश काफी आसान है क्योंकि भारत में ऐसा राजकाज है जो नीतियों पर आधारित है, स्थिर और भरोसेमंद कर व्यवस्था है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत, यूगांडा के साथ क्षमता निर्माण, मानव संसाधन विकास, कौशल विकास, नवप्रवर्तन के क्षेत्र में काम करने को तैयार है। हम प्रचूर मात्रा में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों में मूल्य वर्द्धन के लिये भी इच्छुक हैं। मोदी ने इस मौके पर भारत की आर्थिक वृद्धि दर और रूपांतरणकारी बदलाव को रेखांकित किया।