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चीन के साथ तनाव खत्म करना चाहता है भारत लेकिन एक इंच भी जमीन नहीं लेने देंगे : राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर तनाव को खत्म कर शांति बहाल करना चाहता है लेकिन भारतीय सैनिक देश की भूमि का एक इंच भी किसी को लेने नहीं देंगे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर तनाव को खत्म कर शांति बहाल करना चाहता है लेकिन भारतीय सैनिक देश की भूमि का एक इंच भी किसी को लेने नहीं देंगे। 
रक्षा मंत्री ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के सुकना में स्थित भारतीय सेना के 33 कोर के मुख्यालय में दशहरे के मौके पर शस्त्र पूजा के बाद यह टिप्पणी की। 
सिंह ने पूजा के बाद कहा, “भारत चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव को खत्म करना और शांति बहाल करना चाहता है। यह हमारा लक्ष्य है, लेकिन साथ ही कुछ नापाक घटनाएं होती रहीं। मुझे पूरा यकीन है कि हमारी सेना कभी भी भारत की एक इंच भूमि भी किसी को लेने नहीं देगी। ” 
जब रक्षा मंत्री भारतीय सेना की 33 कोर के सुकना स्थित मुख्यालय में पूजा कर रहे थे, उस समय सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे तथा सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। रणनीतिक रूप से अहम इस सैन्य अड्डे पर सिक्किम सेक्टर में चीन से लगती एलएसी की रक्षा की जिम्मेदारी है। 
पूजा करने के बाद सिंह ने ‘त्रिशक्ति’ कोर के तौर पर चर्चित इस अहम सैन्य अड्डे से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सिक्किम में 19.85 किलोमीटर लंबी एक नई सड़क का उद्घाटन किया। 
मंत्री ने कहा, “मैं विश्वास के साथ और ठोस जानकारी के आधार पर कह सकता हूं कि हाल ही में लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर जो कुछ भी हुआ है, उस दौरान भारतीय सैनिकों के साहस और कार्यों को इतिहासकारों द्वारा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।” 
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को चीनी सैनिकों के साथ लड़ाई में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को काफी बढ़ा दिया था। 
चीन ने लड़ाई में मारे गए और जख्मी हुए अपने सैनिकों की संख्या का अब तक खुलासा नहीं किया है। भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, चीनी सैनिक बड़ी संख्या में हताहत हुए थे। 
चीनी सेना ने 29-30 अगस्त की दरम्यानी रात को इलाके में भारतीय बलों को डराने का प्रयास किया, जिसके बाद भारतीय बलों ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे के आसपास स्थित मुखपारी, रेजांग ला और मगर पहाड़ी समेत ऊंचाई वाले कई रणनीतिक इलाकों पर कब्जा कर लिया था। 
दोनों पक्षों ने पांच मई को हिंसक झड़प के बाद शुरू हुए इस गतिरोध को खत्म करने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तर की वार्ताएं की हैं लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिली। 
एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि रणनीतिक रूप से अहम सैन्य अड्डे पर रक्षा मंत्री की शस्त्र पूजा भारत विरोधियों के लिए एक संदेश है। 
मंत्री ने कहा, “शस्त्र पूजा भारतीय सैन्य परंपरा का अभिन्न अंग है। आज विजयदशमी के पावन मौके पर मेरा सौभाग्य है कि सुकना में त्रिशक्ति कोर के मुख्यालय में शस्त्र पूजा समारोह में मुझे शामिल होने का मौका मिला।” 
अधिकारियों ने बताया कि सिंह का सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास ऊंचाई वाले सीमावर्ती इलाके शेरथांग में पूजा करने का कार्यक्रम था, लेकिन वह खराब मौसम की वजह से वहां नहीं जा सके। 
पूजा के बाद सिंह ने राष्ट्रीय राजमार्ग 310 पर ‘अल्टरनेट अलाइनमेंट’ (वैकल्पिक संरेखण) मार्ग का उद्घाटन किया। अधिकारियों ने इसे नाथुला सेक्टर में जवानों की तेजी से आवाजाही के लिये रणनीतिक महत्व का बताया। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने इस मार्ग का निर्माण किया है। 
सिंह ने इस मौके पर रिकॉर्ड समय में कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाली आधारभूत संरचना उपलब्ध कराने के लिये बीआरओ की प्रतिबद्धता की भी तारीफ की। 
भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ तनाव के मद्देनजर बहुत ऊंचाई वाले इलाकों में स्थित एलएसी पर सतर्क है। 
रक्षा मंत्री शनिवार को 33वीं कोर के सुकना स्थित मुख्यालय पहुंचे थे। 
जवानों के एक समूह को शनिवार शाम को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा था कि भारत ने हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन समय-समय पर ऐसे हालात पैदा हुए जब देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए उसके सशस्त्र बलों को सर्वोच्च बलिदान देना पड़ा। 
रक्षा मंत्री ने सैन्य अड्डे पर उच्चस्तरीय बैठक के दौरान सेना की तैयारियों की समीक्षा भी की। 

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