आज भारतवासी 72वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मना रहे हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से कहा है कि 2022 जब आजादी का 75वां साल होगा, तब या उससे पहले देश का कोई भी बेटा या बेटी अतंरिक्ष में हाथ में तिरंगा लेकर जाएंगे। चाहे चांद हो या मंगल अब हम मानवसहित गगनयान लेकर जाएंगे। ये पूरी तरह से मेड इन इंडिया होगा। अगर 2022 में भारत का ये मिशन सफल रहता है तो ऐसा करने वाला यह चौथा देश होगा। इससे पहले सोवियत यूनियन, अमेरिका और चीन अपने एस्ट्रोनॉट को खुद के यान से अंतरिक्ष में भेज चुके हैं।
सोवियत यूनियन ने सबसे पहले अपने वैज्ञानिक को अंतरिक्ष में भेजा था। आज से 57 साल पहले (अप्रैल 1961 में)। अंतरिक्ष में जाने वाले पहले व्यक्ति बने थे यूरी गागरिन। इसके बाद मई 1961 में अमेरिका ने भी एलन शेफर्ड को अंतरिक्ष में भेज दिया था। वहीं, चीन 2003 में अपने ही अंतरिक्ष यान से अपने एस्ट्रोनॉट को अंतरिक्ष में भेजने वाला तीसरा देश बन गया था। अगर भारत 2022 में खुद के यान से एस्ट्रोनॉट को स्पेस में भेज पाता है, वह चीन से 19 साल पीछे होगा। हालांकि, सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से 1984 में एस्ट्रोनॉट राकेश शर्मा स्पेस में जाने वाले पहले भारतीय बन चुके हैं। पंजाब के पटियाला के रहने वाले राकेश शर्मा सोवियत यूनियन के फ्लाइट इंजीनियर और कमांडर के साथ स्पेस में गए थे।
आपको बता दें कि सहयोगी देशों के स्पेसक्राफ्ट से दुनिया के कई देशों के एस्ट्रोनॉट स्पेस जा चुके हैं। मलेशिया, साउथ कोरिया, डेनमार्क, ईरान, स्वीडन, ब्राजील, इजरायल, साउथ अफ्रीका, स्लोवाकिया के एस्ट्रोनॉट इसमें शामिल हैं।