भारत को बुनियादी ढांचे पर अपने सालाना खर्च को लगभग दोगुना करके 200 अरब करना होगा एवं निजी निवेश का अधिक-से-अधिक उपयोग सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है। वित्त वर्ष 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गयी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बृहस्पतिवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि 2032 तक भारत को 10,000 अरब की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए मजबूत एवं लचीला बुनियादी ढांचा जरूरी है, जिसमें पर्याप्त पैमाने पर निजी निवेश हो।
देश हर वर्ष बुनियादी ढांचा के विकास पर 100 से 110 अरब डॉलर खर्च कर पा रहा है। निवेश में 90 अरब डॉलर के अंतर को ‘नये तरीकों’ से पाटा जा सकता है। इसके अतिरिक्त अर्थव्यवस्था एवं बुनियादी ढांचा के बीच मजबूत संबंधों को भी रेखांकित किया गया है।
समीक्षा में कहा गया है कि राजकोषीय दबाव के चलते इस स्तर पर सार्वजनिक निवेश को बढ़ाये जाने की गुंजाइश कम है इसीलिए बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निजी निवेश को बढ़ाने की जरूरत है।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ”भारत को अपने जीडीपी का सात-आठ फीसदी हर साल बुनियादी ढांचा पर खर्च करने की जरूरत है। ऐसे में वर्तमान में यह आंकड़ा 200 अरब डॉलर का है। हालांकि, भारत हर साल बुनियादी ढांचा पर 100-110 अरब डॉलर ही खर्च कर पा रहा है। इससे हर साल 90 अरब डॉलर का अंतर रह जा रहा है।”
समीक्षा में कहा गया है कि देश में राजमार्गों का निर्माण की गति में तेजी आई है। वर्ष 2014-15 में प्रति दिन 12 किलोमीटर सड़क का निर्माण होता था, वहीं वर्ष 2018-19 में प्रति दिन 30 किलोमीटर की दर से सड़कों का निर्माण हुआ।
वर्ष 2014-15 से 2018-19 की अवधि के दौरान सड़क क्षेत्र की प्रमुख उपलब्धियों में दिल्ली के आस-पास ईस्टर्न और वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, दिल्ली–मेरठ एक्सप्रेस-वे, कश्मीर में चेनानी-नशरी सुरंग, असम में ब्रहमपुत्र नदी पर धौला-सदिया पुल का निर्माण शामिल था।