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नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को भी भारत ने की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाओं की आपूर्ति : विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह प्रत्येक सार्क सदस्य पर निर्भर करता है कि आपातकालीन प्रतिक्रिया निधि प्रतिबद्धताओं के समय तरीके और कार्यान्वयन के बारे में निर्णय लें। वहीं पाकिस्तान ने कोविड-19 से निपटने के लिए सार्क से 3 मिलियन डॉलर की मदद मांगी है।

विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि भारत नेपाल, भूटान और बांग्लादेश को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और अन्य आवश्यक दवाओं की आपूर्ति किया क्योंकि ये देश  पूरी तरह से फार्मास्यूटिकल्स के लिए देश पर निर्भर हैं। बुधवार को सार्क व्यापार अधिकारियों के बीच हुई बैठक में इस पर चर्चा की गई, जिसके एक दिन पहले भारत ने कोविड-19 के उपचारों में इस्तेमाल होने वाले पेरासिटामोल और हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर प्रतिबंध को हटा दिया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई प्रतिबद्धता कार्यान्वयन के बाद  भारत का संबंध हर देश के साथ एक उन्नत चरण पर है। सामग्री और सेवाओं में भारत ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका तक सहायता किया। उन्होंने कहा कि सार्क देशों ने कोविड-19 फंड के लिए प्रतिबद्धता बनाई है। प्रत्येक राष्ट्र की गंभीरता का अंदाजा उनके व्यवहार से लगाया जा सकता है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह प्रत्येक सार्क सदस्य पर निर्भर करता है कि आपातकालीन प्रतिक्रिया निधि प्रतिबद्धताओं के समय तरीके और कार्यान्वयन के बारे में निर्णय लें। वहीं पाकिस्तान ने कोविड-19 से निपटने के लिए सार्क से 3 मिलियन डॉलर की मदद मांगी है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोविड-19 से लड़ाई में संयुक्त रणनीति बनाने के संबंध में 15 मार्च को दक्षेस देशों के नेताओं के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग पर संवाद में दक्षेस कोविड-19आपात प्रतिक्रिया कोष का प्रस्ताव किया और इसमें भारत की ओर से 1 करोड़ डालर के आरंभिक अंशदान की बात कही थी।
समझा जाता है कि भारत पहले ही योगदान कर चुका है। इसके बाद, नेपाल और अफगानिस्तान से 10-10 लाख डालर, मालदीव ने दो लाख डालर, भूटान ने एक लाख डालर, बांग्लादेश ने 15 लाख डालर और श्रीलंका ने 50 लाख डालर का योगदान करने की घोषणा की थी । बता दें कि भारत मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन जिसकी इस समय दुनिया भर में बहुत अधिक मांग है, का निर्यात सिर्फ विदेशी सरकारों को करेगा और निजी कंपनियों को इसे नहीं बेचा जाएगा।

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सूत्रों ने इस प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा कि जिन देशों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का आयात करना है, उन्हें विदेश मंत्रालय के जरिए अपना आवेदन देना होगा। यह उत्पाद इस समय निर्यात के लिए प्रतिबंधित श्रेणी में है, इसलिए यह फैसला किया गया है। हालांकि, इस दवा का निर्यात पूरी तरह प्रतिबंधित है, लेकिन भारत सरकार ने कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने की अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता के चलते इसका निर्यात करने का निर्णय किया है।
सूत्रों ने कहा कि  ‘‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन अभी भी प्रतिबंधित वस्तु है। निजी कंपनियों से निजी कंपनियों को या एक घरेलू निर्यातक से विदेशी आयातक को इस व्यापार प्रतिबंधित है। सरकार जो प्रक्रिया अपना रही है, उसका मकसद उन देशों की मदद करना है, जिन्हें इसकी सख्त जरूरत है या जो पहले से इस दवा के लिए भारत पर निर्भर हैं या नेपाल, श्रीलंका और भूटान जैसे मित्र देश हैं।’’

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