म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट और देश की नेता आंग सान सू की को हिरासत में लिए जाने को लेकर भारत ने चिंता जाहिर की है और कहा है कि कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखना चाहिए। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि वह म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट और सू की को नजरबंद किए जाने की घटना पर करीबी नजर बनाए हुए है। भारत के पड़ोसी देश म्यांमार की सेना ने यह भी कहा है कि वह अगले 1 साल के लिए देश की सत्ता को अपने नियंत्रण में रखेगी। इस दौरान म्यांमार में फोन और इंटरनेट सेवाएं भी बाधित रहेंगी।
एनएलडी की जीत के बाद पहली बार बुलाई गई संसदीय कार्यवाही के शुरू होने से कुछ देर पहले ही सरकारी टीवी चैनल को ऑफ एयर कर दिया गया था। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि म्यांमार में हो रहे घटनाक्रम पर हम नजर बनाए हुए हैं। बयान में कहा गया है कि 'भारत हमेशा म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया स्थापित करने के पक्ष में रहा है। हमारा मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया बरकरार रहनी चाहिए। हम स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए हैं।'
अमेरिकी विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकेन ने भी म्यांमार के तख्तापलट और देश की नेता आंग सान सू की सहित लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुने गए अन्य नेताओं को नजरबंद किए जाने पर पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि म्यांमार को यह निर्णय तुरंत वापस लेना चाहिए। ब्लिंकेन ने कहा है कि म्यांमार के सैन्य नेताओं को सभी सरकारी अधिकारियों और नेताओं को तुरंत रिहा करना चाहिए और बीते साल नवंबर में हुए चुनावों के नतीजों का सम्मान करना चाहिए।