Indian Air Force को मिला फाइटर जेट सुखोई का पहला भारतीय इंजन

Indian Air Force को मिला फाइटर जेट सुखोई का पहला भारतीय इंजन

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वायुसेना को फाइटर जेट सुखोई का भारत में बना पहला इंजन हासिल हुआ है। मंगलवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने सुखोई के पहले इंजन 'एएल-31 एफपी' को वायुसेना को सौंपा।

240 एयरो इंजन की कुल कीमत 26 हजार करोड़ से अधिक

पिछले महीने ही रक्षा मंत्रालय ने सुखोई फाइटर जेट के लिए 240 एयरो इंजन की खरीद के लिए एचएएल के साथ एक अनुबंध किया था। इस करार की कुल कीमत 26 हजार करोड़ से अधिक है। इन 'एएल-31एफपी' एयरो इंजन का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन द्वारा किया जा रहा है। ये एयरो इंजन भारतीय वायु सेना की सुखोई फ्लीट की परिचालन क्षमता की आवश्यकता को पूरा करेंगे।

यहीं बनाए जा रहे हैं आधुनिक इंजन

गौरतलब है कि बीते कई दशक से एचएएल की कोरापुट डिवीजन मिग-21 और मिग-29 से लेकर सुखोई के रखरखाव और ऑपरेशन में अहम भूमिका निभा रही है। अब यहीं यह आधुनिक इंजन बनाए जा रहे हैं। अनुबंध के अनुसार एचएएल प्रति वर्ष 30 एयरो इंजन की आपूर्ति करेगा। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि 'आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा देते हुए, 26,000 करोड़ रुपये से अधिक का यह महत्वपूर्ण समझौता किया है। भारतीय वायु सेना के प्रमुख फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई के इंजन के लिए यह समझौता है।

समझौते के अनुसार हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, 'सुखोई-30 एमकेआई' के 240 एयरो-इंजन (एएल-31एफपी) तैयार करेगा। 9 सितंबर को दिल्ली में रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की उपस्थिति में रक्षा मंत्रालय और एचएएल के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।

240 एयरो इंजनों की आपूर्ति अगले आठ वर्षों की अवधि में कर ली जाएगी पूरी

इस अनुबंध के तहत एचएएल द्वारा सभी 240 एयरो इंजनों की आपूर्ति अगले आठ वर्षों की अवधि में पूरी कर ली जाएगी। एचएएल स्वदेशी निर्माण में 54 प्रतिशत से अधिक का औसत हासिल करने के लिए स्वदेशीकरण सामग्री को 63 प्रतिशत तक बढ़ाएगा। इससे एयरो-इंजन की मरम्मत में भी स्वदेशी सामग्री को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति ने दो सितंबर को भारतीय वायु सेना के एसयू-30 एमकेआई विमान के लिए, एयरो-इंजन की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस मंजूरी के अंतर्गत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से 240 एयरो-इंजन की खरीद के प्रस्ताव था।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक यह खरीद सभी करों और शुल्कों सहित 26 हजार करोड़ रुपये से अधिक है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक ये इंजन 54 प्रतिशत स्‍वदेशी सामग्री से बने हैं। इनके कुछ प्रमुख घटकों को देश में ही तैयार किया गया है। इनका निर्माण ह‍िंंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स लिमिटेड के कोरापुट प्रभाग में किया जा रहा है। एसयू-30 एमकेआई, भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल सबसे शक्तिशाली और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण विमानों में से एक है।

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