भारतीय वायुसेना में आज तेजस लड़ाकू विमानों का नया और दूसरा स्क्वाड्रन शामिल हो गया है। तमिलनाडु के कोयंबटूर के करीब सुलुर एयरफोर्स स्टेशन पर 18वीं स्क्वाड्रन की तैनाती हो गई है। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने सुलूर एयरफोर्स स्टेशन में 45वीं स्क्वाड्रन के साथ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस लड़ाकू विमान उड़ाया।
उन्होंने सिंगल सीटर एलसीए की उड़ान भरी। एयरफोर्स की 18वीं स्क्वाड्रन अब हल्के लड़ाकू विमान तेजस से लैस होगी। तेजस विमान उड़ाने वाली एयरफोर्स की यह दूसरी स्क्वाड्रन होगी। इससे पहले 45वीं स्क्वाड्रन ऐसा कर चुकी है। यह तेजस पुराने तेजस से एडवांस है जिससे इसकी ताकत और बढ़ गई है। तेजस का पहला स्क्वॉड्रन बेंगलुरु में 2016 में दो लड़ाकू विमान के साथ शुरू हुआ था।
फओसी यानि फाइनल ओपरेशनल क्लीयेरेंस, तेजस लड़ाकू विमान, बियुंड विजयुल रेंज (बीवीआर) मिसाइल से लैस है जो 50 किलोमीटर दूर ही टारगेट को लॉक कर सकती है। लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट तेजस में इजरायल की डर्बी बीवीआर मिसाइल लगी है। साथ ही इन एफओसी एयरक्राफ्ट्स में एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग तकनीक भी है।
15 अप्रैल, 1965 को गठित यह स्क्वाड्रन अपने आदर्श वाक्य ‘टेवरा और निर्भया’ के साथ अब तक मिग- 27 विमान उड़ा रहा था। इससे पहले इसे 15 अप्रैल, 2016 को नंबर प्लेट लगा दिया गया था। स्क्वाड्रन को इस साल एक अप्रैल को फिर से शुरू किया गया है।
18वीं स्क्वॉड्रन ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में हिस्सा लिया था. ये स्क्वॉड्रन सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से भी सम्मानित हो चुका है। इसके फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों को मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।