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LAC पर अब त्रिशूल और वज्र के जरिए चीन का मुकाबला करेगी भारतीय सेना

अब चीनी सैनिकों की इसी नीति का मुकाबला करने के लिए भारतीय सैनिक भगवान शिव के त्रिशूल, इंद्र देव के वज्र, सैपर पंच, दंड और भद्र से लैस हो रहे हैं।

वास्तविक नियंत्रण रेखा  पर लद्दाख के गलवान में वर्ष 2020 में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर कांटेदार तार से लिपटे डंडों और बेसबॉल के बल्लों, लाठियों और पत्थरों से हमला किया था। इस अचानक हुए और नए प्रकार के हमले में हमारे सैनिकों ने भी चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया लेकिन फिर भी 20 सैनिक शहीद हो गए थे। अब चीनी सैनिकों की इसी नीति का मुकाबला करने के लिए भारतीय सैनिक भगवान शिव के त्रिशूल, इंद्र देव के वज्र, सैपर पंच, दंड और भद्र से लैस हो रहे हैं।1634551957 vaj
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार  नोएडा की एक स्टार्टअप फर्म ने कहा कि गलवान घाटी संघर्ष के तुरंत बाद भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा उन्हें चीनियों से निपटने में सक्षम होने के लिए उपकरण प्रदान करने का काम सौंपा गया था। उन्होंने सेना को भगवान शिव के ‘त्रिशूल’ जैसे पारंपरिक भारतीय हथियारों से प्रेरित गैर-घातक हथियारों के रूप में समाधान प्रदान किया है। कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि हमने भारतीय सुरक्षाबलों के लिए अपने पारंपरिक हथियारों से प्रेरित ऐसे ही टैसर और गैर-घातक भी विकसित किए हैं।1634552113 lac
कंपनी के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी मोहित कुमार ने कहा, ‘हमें भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा गैर-घातक उपकरण विकसित करने के लिए कहा गया था, जब चीनी ने हमारे सैनिकों के खिलाफ गलवान संघर्ष में तार-तार की छड़ें और टेसर का इस्तेमाल किया था। हम तैनाती के दौरान चीनी को अपने पारंपरिक हथियार दिखाते हुए भी देख सकते थे। हमने भारतीय सेना के लिए अपने पारंपरिक हथियारों से प्रेरित ऐसे ही टैसर और गैर-घातक भी विकसित किए हैं।’ 
वहीं टेसिंग उपकरण से आने वाली सबसे अच्छी प्रतिक्रिया को ‘सैपर पंच’ कहा जाता है, जिसे सर्दियों के सुरक्षा दस्ताने की तरह पहना जा सकता है और इसका इस्तेमाल हमलावर दुश्मन सैनिकों को एक या दो झटका देने के लिए किया जा सकता है। कंपनी के अधिकारी ने बताया कि इन हथियारों के इस्तेमाल से मौत नहीं होगी, लेकिन यह दुश्मन सैनिकों को अस्थायी रूप से अप्रभावी बना सकते हैं। 1634552190 aaj
उल्लेखनीय है कि चीनी सैनिकों ने पिछले साल गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों पर टेसर और कांटेदार क्लबों से हमला किया था। हालांकि इस दौरान गोलियां नहीं चलाई गई थीं। गलवान में हिंसक झड़प के तुरंत बाद भारतीय सैनिकों ने चीनी अपरंपरागत हथियारों के जवाब में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की तलाश शुरू कर दी थी

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