जबलपुर : मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि भारतीय संस्कृति में संस्कारों का महत्व निर्विवाद है और इसी कारण संस्कृति एवं संस्कार एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं। श्रीमती पटेल ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कल 30वें दीक्षांत समारोह में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि दीक्षान्त समारोह प्राचीन समावर्तन संस्कार का ही परिष्कृत रूप है। उन्होंने कहा कि कोई भी शिक्षित छात्र, दीक्षित या प्रशिक्षित हुए बिना समाज के लिए उपयोगी नहीं होता है। किसी भी विद्यार्थी के लिए दीक्षान्त-संकल्प उसका सर्वोत्तम क्षण होता है। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि देश आपकी ओर आशा एवं विश्वास-भरी नजरों से देख रहा है।
देशवासियों को आपसे बड़ अपेक्षाएं हैं परन्तु ये अपेक्षाएं तभी पूर्ण होंगी जब विद्यार्थियों के ऊर्जावान व्यक्तित्व को सकारात्मक कर्तत्व मिलेे। इसके लिए केन्द्रीय सरकार और मध्यप्रदेश सरकार सतत् प्रयत्नशील है।
योजनाओं को आदिवासी, वनवासी और पिछड़, दलित एवं निर्धन क्षेत्रों के निवासियों तक पहुंचाने के लिए यह जरूरी है कि सभी महाविद्यालय और विश्वविद्यालय कम से कम एक-एक गांव गोद लें। उन गांवों में छात्रों को भेजा जाए ताकि वे विकास का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में सक्रिय भागीदारी निभाएं।
उन्होंने आह्वान किया कि यह विश्वविद्यालय और इससे सम्बद्ध सभी महाविद्यालय जनजातियों के सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्तर को राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने का प्रयास करें।
राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह में 290 शोध उपाधियां प्रदान कीं। इसके अलावा उल्लेखनीय शैक्षणिक उपलब्धियां हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को 46 स्वर्ण पदक भी दिए।
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