भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को लेकर काफी सतर्क है, इसी कड़ी में भारत सरकार ने हिंद महासागर के क्षेत्र में अपनी युद्धक क्षमताओं को कई बार आका है। भारतीय विदेश मंत्रालय के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने सोमवार को कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) खतरों व अनिश्चितताओं में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि का सामना करेगा।
‘समुद्री सुरक्षा एवं उभरते गैर परंपरागत खतरों: हिंद महासागर क्षेत्र की अतिसक्रिय भूमिका का मामला’ विषय पर गोवा समुद्री सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने भू-राजनीतिक अस्थिरता से उभरती चुनैतियों पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्धता का अभाव रहने से क्षेत्र में सैन्यकरण बढ़ा है।
श्रृंगला ने कहा, ‘‘सैन्यकरण ने सदा ही जटिलताओं को बढ़ाया है। हिंद महासागर क्षेत्र में तेजी से घटनाक्रम हो रहे हैं और खतरों व अनिश्चितताओं में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि के साथ वहां सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रही हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘इससे हम सभी के लिए यह जरूरी है कि क्षेत्र की तट रक्षक व समुद्री सुरक्षा एजेंसियां एकजुट होकर और अधिक मजबूती से इन चुनौतियों का सामना करे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत इन समस्याओं से निपटने में अपने हिस्से की भूमिका निभाने को तैयार है।’’
सम्मेलन का आयोजन नेवल वार कॉलेज ने किया है। विदेश सचिव ने कहा, ‘‘विदेश नीति या कूटनीति के संदर्भ में सुरक्षा परंपरागत रूप से बाहरी सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने से जुड़ी रही है। ऐतिहासिक रूप से सुरक्षा बढ़ाने के लिए कूटनीतिक कोशिशें सुरक्षा सहयोगियों के साथ बातचीत करने की रही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम व्यापक परिदृश्य वाले मानव सुरक्षा की विस्तारित अवधारणा के आधार पर संचालित हो रहे हैं।’’
श्रृंगला ने कहा, ‘‘ हम अब नये तरह के उपाय व व्यवस्था करने जा रहे हैं जो सुरक्षा की इस समझ को प्रदर्शित करेगा। वे सैन्य गठजोड़ की परंपरागत अवधारणा पर कम और रोकथाम पर, सूचना साझा करने एवं सीमाओं पर अंतर-संचालन को बढ़ावा देने पर सहयोगी रुख रखने पर अधिक आधारित हैं। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से हमारे द्वारा की जा रही कई सहयोगी गतिविधियां निगरानी व कानून प्रवर्तन के क्षेत्र में है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि ये उपाय नये व तेजी से उभरते खतरों के प्रति कहीं अधिक उपयुक्त हैं। ’’ उन्होंने आईओआर देशों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम एक विशेष समकालीक भू राजनीतिक व भू आर्थिक वास्तविकता रखते हैं।’’