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एसजीपीसी प्रधान पद के लिए जोड़तोड़ शुरू, बडूंगर के नाम पर शिअद में भी सर्वसम्मति नहीं

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लुधियाना-अमृतसर : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के 29 नवंबर को होने वाले जरनल इजलास को लेकर गतिविधियां तेज हो गई हैं। सबसे ज्यादा एसजीपीसी अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर जोड़तोड़ चल रही है। मौजूदा अध्यक्ष प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर नाम पर अकाली दल में भी सहमति नहीं है। उनकी जगह लेने के लिए बीबी जगीर कौर, अवतार सिंह मक्कड़, बलबीर सिंह घुन्नस, हरियाणा से रघुजीत सिंह विर्क, जत्थेदार तोता सिंह और मौजूदा सचिव अमरजीत सिंह चावला दौड़ में हैं। इनमें घुन्नस व मक्कड़ की चर्चा ज्यादा है। सभी के दावे अपने अपने स्थान पर मजबूत हैं लेकिन आमतौर पर अध्यक्ष की नियुक्ति अकाली दल नेतृत्व की ओर से भेजे जाने वाले लिफाफे पर ही निर्भर होती है।

जनरल इजलास के दौरान एसजीपीसी अध्यक्ष के साथ साथ कार्यकारिणी कमेटी के कई सदस्यों के बदले जाने की संभावना प्रकट की जा रही है। अध्यक्ष पद को लेकर जहां अलग अलग नेता अपनी गोटियां फिट कर रहे हैं, वहीं कार्यकारिणी कमेटी में भी स्थान हासिल करने के लिए सदस्यों ने अपने आकाओं तक पहुंच करनी शुरू कर दी है।

एसजीपीसी के इस वक्त 170 के करीब सदस्य हैं जबकि कुल सदस्य 191 के करीब होते हैं। कार्यकारिणी कमेटी में 11 सदस्य होते हैं। इसके अलावा एक अध्यक्ष, एक सीनियर उपाध्यक्ष, एक जूनियर उपाध्यक्ष और एक महासचिव होता है। 165 सदस्यों का चुनाव चुनावों के माध्यम से होता है जबकि 15 के करीब सदस्यों का नामिनेशन होता है। जिनमें से हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से एक-एक सदस्य और नई दिल्ली से तीन सदस्यों का नामिनेशन किया जाता है।

पांच तख्त साहिबों के जत्थेदार भी इस कमेटी के सदस्य होते हैं परंतु वे वोट नहीं डालते हैं। इस बार हाउस से एसजीपीसी सदस्य सुच्चा सिंह लंगाह आरोपों के कारण त्यागपत्र दे चुके हैं। हरियाणा के सदस्य शरणजीत सिंह भी त्यागपत्र दे चुके हैं। पांच सदस्यों का निधन हो चुका है।

ये नेता हैं दौड़ में
पूर्व अध्यक्ष बीबी जगीर कौर व अवतार सिंह मक्कड़, बलबीर सिंह घुन्नस, जत्थेदार तोता सिंह, मौजूदा सचिव अमरजीत सिंह चावला व हरियाणा से रघुजीत सिंह विर्क।

2011 से नहीं हुए हैं चुनाव
वर्ष 2011 से एसजीपीसी के चुनाव नहीं हुए हैं। सहजधारियों को वोट का अधिकार न देने को लेकर यह विवाद अदालत में रहा जिसके चलते चुनाव नहीं हो सके। अब संसद में सहजधारियों को चुनावों में मतदान का अधिकार देने का दावा खत्म करने को मुख्य रख चुनावों के लिए राज्य व केंद्र सरकार किसी वक्त तिथियां तय कर सकती है। नियमों के अनुसार हर वर्ष नवंबर में जरनल इजलास आयोजित करना होता है। इजलास में अध्यक्ष के साथ साथ कार्यकारिणी के सदस्यों का भी चुनाव होता है।

बडूंगर को बदले जाने की संभावना ज्यादा
चर्चा है कि मौजूद अध्यक्ष प्रो बडूंगर को बदले जाने की पूरी संभावना है। बादल परिवार अध्यक्ष बदलने को लेकर कशमकश में है। अकाली दल के नेतृत्व में जहां कुछ सदस्य बडूंगर को बदलना चाहते हैं वहीं कुछ सदस्य उन्हें दोबारा अध्यक्ष के रूप में देखना चाहते हैं पर इनकी संख्या कम है। अकाली दल भी पूरी तरह दो ग्रुपों में विभाजित है। माझा का ग्रुप मौजूदा अध्यक्ष को बदलने के पक्ष में है जबकि मालवा का ग्रुप समर्थन में बताया जा रहा है। प्रो बडूंगर गत वर्ष नवंबर में ही एसजीपीसी अध्यक्ष चुने गए थे। बडूंगर भी एसजीपीसी के नोमिनेटेड सदस्य हैं।

शिअद की सहयोगी भाजपा भी बडूंगर से नाराज
बडूंगर के सबंध में चर्चा है कि धार्मिक मुद्दों पर वे अकाली दल का बचाव करने में असफल रहे हैं जिसके चलते अकाली दल को बैकपुट पर आना पड़ा है। दूसरी तरफ खालिस्तान की मांग का समर्थन करने पर अकाली दल की सहयोगी भाजपा और आरएसएस बडूंगर से काफी खफा हैं। हालांकि बाद में बडूंगर ने कहा था कि उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया है। संघ ने इसकी शिकायत अकाली दल से की थी।

बादल के सामने दर्ज करवाया था विरोध
सूत्र बताते हैं कि एसजीपीसी के कर्मचारियों का एक बड़ा ग्रुप भी बडूंगर के पक्ष में नहीं है। बडूंगर का एक माह पहले अपने पद से त्याग पत्र देकर पटियाला के एक निजी अस्पताल में दखिल होने का मुद्दा उठाने सहति दीवाली पर प्रकाश सिंह बादल को बधाई देने गए अकाली ग्रुपों ने भी बडूंगर के बारे में विरोध दर्ज करवाया है।

विरोधियों ने बनाया पंथक फ्रंट
इस बार एसजीपीसी का जरनल इजलास हंगामों भरा होने की संभावना है। एसजीपीसी के अंदर कुछ सदस्यों ने पंथक फ्रंट बना कर मौजूदा अध्यक्ष बडूंगर के खिलाफ मैदान में आने का मन बना लिया है। फ्रंट का नेतृत्व कमेटी के सदस्य व पूर्व महासचिव सुखदेव सिंह भौर कर रहे हैं। भौर ने कहा कि फ्रंट अपना उम्मीदवार खड़ा करेगा और वोङ्क्षटग की मांग करेगा।

भौर का दावा है कि उनके साथ एसजीपीसी के पूर्व अध्यक्ष गुरचरन सिंह टोहरा की पुत्री कुलदीप कौर टोहरा समेत 7 पूर्व सदस्य और 22 मौजूदा सदस्य हैं। अगर हाउस में चुनाव होता है तो कई गुणा अधिक सदस्य उनके समर्थन में मतदान कर सकते हैं। भौर ने इस बार एसजीपीसी के सभी सदस्यों को एक पत्र भेज कर जमीर की आवाज सुनने और जमीर की आवाज पर अध्यक्ष का चुनाव करने की अपील की है। भौर कहते हैं कि उनकी ओर से प्रो. बडूंगर के कार्यकाल के दौरान हुई अनियमितताओं के साथ साथ 700 से अधिक की गई गैरकानूनी नियुक्तियों के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी।

इजलास की सभी तैयारियां मुकम्मल – डा. रूप सिंह
एसजीपीसी के मुख्य सचिव डा. रूप सिंह कहते हैं कि 29 नवंबर को तेजा सिंह समुंदरी हाल में होने वाले जनरल इजलास को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इसके लिए पत्र भी सारे सदस्यों को जारी कर दिए गए हैं। इजलास में अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, महासचिव, जूनियर उपाध्यक्ष और कार्यकारिणी कमेटी के सदस्यों का चुनाव होगा।

– सुनीलराय कामरेड

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