प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर भारतीय रेलवे पानी और बिजली की बचत करने की कोशिशों में जुटा है। कभी एक ट्रेन की धुलाई में 16 हजार लीटर पानी खर्च होता था अब महज 600 लीटर पानी में ही काम हो जाता है। खुद यह जानकारी रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में दी।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रेनों की धुलाई में पानी की बर्बादी को देखते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल को बहुत पहले बुलाकर चर्चा की थी। कहा था कि ऐसी व्यवस्था करने की जरूरत है कि कम पानी में ट्रेनों की धुलाई हो और कम बिजली खर्च में ही रेलवे की व्यवस्था चले।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर रेल मंत्रालय ने ऑटोमेटेड कोच वाशिंग प्लांट लगवाने की व्यवस्था की।
फिलहाल देश में 18 स्थानों पर ऐसे प्लांट लगे हैं। नतीजा यह निकला कि पहले जिस ट्रेन की धुलाई में पहले चार से छह घंटे लगते थे और 16 हजार लीटर पानी खर्च होता था वह काम महज 600 लीटर पानी और आधे घंटे में होने लगा। खास बात है कि इस पानी को रिसाइकिल कर फिर से ट्रेनों की धुलाई में लाया जाता है।
देश में ऐसे कुल 18 ऑटोमेटेड कोच वाशिंग प्लांट चालू हो चुके हैं। हालांकि इसकी संख्या बढ़ाने की तैयारी है।
प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर रेलवे लाइनों के दोनों तरफ खाली पड़ी जमीन पर सोलर पैनल बिछाने की तैयारियों में रेलवे जुटा है।
पीयूष गोयल ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने रेलवे को सोलर सिस्टम से 20 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य दिया है। सरकार चाहती है कि भारत की रेल दुनिया की पहली रेल बने जो पूरा सोलर सिस्टम पर चले।
बता दें कि रेलवे अब तक 100.99 मेगावाट सौर और 103.4 मेगावाट पवन ऊर्जा का प्लांट स्थापित कर चुका है। 2021-22 तक एक हजार मेगावाट तक सौर ऊर्जा से बिजली पैदा करने की तैयारी है। रेलवे की 2030 तक 5 गीगावाट सौर बिजली पैदा करने लायक प्लांट लगाने की तैयारी है। रेलवे यह प्लांट खाली पड़ी 51 हजार हेक्टेयर जमीन पर लगवाएगा।