केंद्र सरकार ने कर्जदारों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने बैंकों से कर्ज लेने वालों को 1 तरह से दिवाली का तोहफा देते हुए 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज से राहत देने की देर रात घोषणा की। यह राहत सभी कर्जदारों को मिलेगा चाहे उन्होंने किस्त भुगतान से 6 महीने की दी गयी छूट का लाभ उठाया हो या नहीं। वित्तीय सेवा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ब्याज राहत योजना लागू करने का निर्देश दिए जाने के बाद इसके परिचालन के दिशानिर्देश जारी कर दिए। इस योजना के क्रियान्वयन से सरकारी खजाने पर 6,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ने का अनुमान है।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर को केंद्र को निर्देश दिया था कि वह कोविड-19 महामारी के मद्देनजर रिजर्व बैंक की किस्तों के भुगतान से छूट की योजना के तहत 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज माफ करने के बारे में यथाशीघ्र निर्णय ले। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आम लोगों की दिवाली अब सरकार के हाथों में है। वित्त मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार कर्जदार विनिर्दिष्ट ऋण खातों पर 1 मार्च से 31 अगस्त 2020 के लिए इस योजना (ब्याज राहत) का लाभ उठा सकते हैं। इसमें कहा गया है कि जिन कर्जदारों के ऋण खाते की मंजूर सीमा या कुल बकाया राशि 29 फरवरी तक 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है, वे इस योजना का लाभ उठाने के पात्र होंगे।
दिशानिर्देशों में बताई गई पात्रता शर्तों के मुताबिक 29 फरवरी तक इन खातों का मानक होना अनिवार्य है। मानक खाता उन खाताओं को कहा जाता है, जिन्हें गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) नहीं घोषित किया गया हो। इस योजना के तहत आवास ऋण, शिक्षा ऋण, क्रेडिट कार्ड का बकाया, वाहन ऋण, एमएसएमई ऋण, टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद ऋण और उपभोग ऋण के धारकों को लाभ मिलेगा।
योजना के तहत कर्ज देने वाले संस्थानों को योजना की अवधि के लिए पात्र कर्जदारों के संबंधित खातों में संचयी ब्याज व साधारण ब्याज के अंतर की राशि जमा करनी होगी। योजना में कहा गया है कि कर्जधारक ने रिजर्व बैंक के द्वारा 27 मार्च 2020 को घोषित किस्त भुगतान से छूट योजना का पूर्णत: या अंशत: लाभ का विकल्प चुना हो यह नहीं, उसे ब्याज राहत का पात्र माना जाएगा। कर्ज राहत योजना का लाभ उन कर्जधारकों को भी मिलेगा जो नियमित किस्तों का भुगतान करते रहे।
कर्ज देने वाले संस्थान दी गई छूट के तहत संबंधित राशि कर्जधारक के खाते में जमा करने के बाद केंद्र सरकार से उसके बराबर राशि पाने के लिए दावा करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करते हुए कहा था, वह इस बारे में चिंतित है कि कर्जदारों को ब्याज राहत का लाभ किस तरह से दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि केंद्र सरकार ने आम लोगों की बदहाल स्थिति का संज्ञान लेते हुए अच्छा निर्णय लिया है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि अब तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी किया गया है।न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि कुछ ठोस किए जाने की जरूरत है। जितना जल्दी संभव हो सके, 2 करोड़ रुपये तक के कर्जदारों को ब्याज से राहत देने की योजना का क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख 2 नवंबर तय करते हुए कहा बैंकों तथा केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे वकीलों से कहा था कि ‘लोगों की दिवाली अब आपके हाथों में है।