8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल कर चुकी महिलाओं के अलावा संघर्ष कर रही महिलाओं के नाम भी ये दिन है। इस साल इस दिन एक थीम तय की जाती है। गूगल ने डूडल बनाकर महिलाओं के संघर्षों और उपलब्धियों को याद किया। बता दे कि इस साल की थीम #PressForProgress है।
आपको बता दे कि 1933 से 1945 के बीच अमेरिका की फर्स्ट लेडी रहीं एलियानोर रूजवेल्ट ने कहा था, ‘महिला एक टीबैग की तरह है, जब तक आप उसे गर्म पानी में न डालें तब तक पता ही नहीं चलता कि वह कितनी स्ट्रॉन्ग है।’ उसने मां, बेटी, बहन और दोस्त जैसे न जाने कितने किरदारों में खुद को हर बार साबित किया है, लेकिन इन सब किरदारों से अलग उसकी अपनी पहचान ‘एक औरत’ होना है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर दुनिया भर में महिलाओं और उनके जज्बे को सलाम किया जा रहा है। वही ,राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री मोदी ने आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दी। कोविंद ने ट्वीट कर कहा‘‘भारत और पूरी दुनिया की महिलाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई। महिलाएं समाज को स्थिरता देती हैं, अपने परिवारों और हमारे देश के लिए प्रेरणा का ह्मोत हैं। आइये हम एक ऐसे भविष्य का निर्माण करें जिसमें हर एक महिला अच्छे भविष्य के सपने देखे और उन्हें साकार करें।‘‘
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा कि महिला दिवस के अवसर पर नारी शक्ति को शत्-शत् नमन। हमें हमारी नारी शक्ति की उपलब्धियों पर अत्यंत गर्व है।‘‘ प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा‘‘नए भारत के निर्माण में अग्रसर नारी शक्ति।‘’इसके साथ ही राष्ट्रीय पोषण मिशन की एक पोस्टर साझा की है जिसमें लिखा है‘‘महिला विकास से आगे बढकर आज भारत का मंत्र है- महिलाओं के नेतृत्व में विकास।‘‘
वही ,बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदेश एवं देश की महिलाओं को बधाई देते हुए आज कहा कि किसी भी राज्य या देश के विकास में महिलाओं का योगदान आवश्यक है।
नीतीश कुमार ने अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रदेश और देश की महिलाओं को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि महिलायें समाज का अभिन्न हिस्सा हैं, वे अपनी प्रतिभा के बलबूते विभिन्न क्षेत्रों में अलग पहचान बना रही हैं। किसी भी राज्य या फिर देश के विकास में महिलाओं का योगदान आवश्यक है।
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार प्रदेश की महिलाओं के सशक्तिकरण एवं उन तक विकास का लाभ पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक विकास के साथ उन्हें एक सुरक्षित और बेहतर माहौल देकर ही विकास को सही मायने में परिभाषित किया जा सकता है।
1909 में पहली बार 28 फरवरी को अमेरिका में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका (अमेरिका स्थित एक कम्युनिस्ट ग्रुप) राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। इस दिन अमेरिका में श्रम कानूनों को लागू करने यानी काम के घंटों को 8 घंटे करने और महिलाओं के लिए वोट के अधिकार को लेकर पूरे अमेरिका में विरोध-प्रर्दशन हुआ।
1909 में ही अमेरिका के कपड़ा मिल कारखानों में काम करने वाली करीब 20 से 30 हजार महिलाओं ने आम हड़ताल किया था। कड़ाके की ठंड में करीब 13 हफ्तों तक यह हड़ताल बेहतर वेतन और काम के हालातों के लिए चली। वीमेंस ट्रेड यूनियन लीग ने गिरफ्तार आंदोलनकारी महिलाओं की जमानत के लिए फंड जमा किया।
1910 में कम्युनिस्ट महिला नेता क्लारा जेटकिन ने कोपेनहेगन में आयोजित किए गए दूसरे इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ वर्किंग वीमेन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार दिया। क्लारा ने यह विचार न्यूयॉर्क में 1909 में मनाए महिला दिवस से प्रेरित होकर दिया था। क्लारा जेटकिन ने महिला दिवस मनाने के प्रस्ताव को रखते हुए यह कहा कि सभी देशों में कामकाजी महिलाओं के अधिकारों, महिलाओं के लिए श्रम कानूनों को लागू करने, महिलाओं को वोट देने के अधिकार और शांति की मांग पर बल देते हुए महिला दिवस मनाना चाहिए। इस कॉन्फ्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाओं ने हिस्सा लिया था।
इस सम्मेलन में 19 मार्च को महिला दिवस मनाने का फैसला लिया गया क्योंकि इसी तारीख को 1848 में प्रशिया के राजा जनांदोलन के दबाव में महिलाओं को वोट का अधिकार देना स्वीकार किया था। लेकिन बाद में वो अपने वादे से मुकर गया।
1911 में सबसे पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया. ऑस्ट्रिया, डेनमॉर्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में बहुत बड़े स्तर पर महिला दिवस मनाया गया। इसमें करीब 10 लाख महिलाओं ने हिस्सा लिया।
इसके एक सप्ताह के भीतर 25 मार्च को न्यूयॉर्क के एक गारमेंट फैक्ट्री में भंयकर आग लग गई जिसमें 146 मजदूरों की मौत हो गई। मरने वालों में अधिकतर महिलाएं थीं। इसके बाद महिलाओं के आंदोलन ने नया उभार लिया। इन विरोध-प्रदर्शनों के नतीजों के रूप में इंटरनेशनल लेडीज गारमेंट वर्कस यूनियन का गठन हुआ. यह बाद में अमेरिका के सबसे बड़े मजदूर संगठनों में से एक बना।
प्रथम विश्व युद्ध की संभावना को देखते हुए 1913 में विचार-विमर्श के बाद शांति की अपील के साथ 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का फैसला किया गया। तब से यह अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाने की परंपरा शुरू हुई। 8 मार्च, 1914 को महिलाओं ने पूरे यूरोप में युद्द के खिलाफ रैलियां निकालीं।
8 मार्च, 1917 को (तब के रूसी कैलेंडर के अनुसार 23 फरवरी) रूसी महिलाओं ने ‘रोटी और शांति’ की मांग के साथ जारशाही के खिलाफ प्रदर्शन किया। पीट्सबर्ग की कपड़ा महिला मिल मजदूरों ने हड़ताल की।
1979 को ईरान के लगभग 1 लाख महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर ने अयातुल्ला खुमैनी के शासन के आने से पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर तेहरान यूनिवर्सिटी में रैली निकाली। महिलाओं शाह और इस्लामी रूढ़िवादियों के खिलाफ पश्चिमी कपड़े पहनकर अपना विरोध जताया। ईरान के अन्य शहरों में भी इस तरह के प्रदर्शन हुए। महिलाओं ने बराबरी के अधिकार के साथ अपनी मर्जी से कपड़े पहनने के अधिकारों की भी आवाज उठाई।
महिला दिवस मनाने की शुरुआत जिन मांगों से हुई थी, उनमें से कई मांगें आज भले ही कई देशों में मान ली गई हों लेकिन अलग-अलग देशों में आज भी महिलाओं के कई ऐसे मुद्दे हैं जिनपर महिलाएं आवाज उठा रही हैं।
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