शारदा पोंजी घोटाले में आरोपी वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राजीव कुमार गुरुवार को अलीपुर कोर्ट में समर्पण किया, जहां उन्हें जमानत मिल गई। पिछले कुछ दिनों से सीबीआई उन्हें लगातार तलाश कर रही थी, मगर वह उनके हाथ नहीं आए। कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त राजीव पिछले 20 दिनों के दौरान पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए।
राजीव कुमार ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत मुखर्जी के सामने खुद को औपचारिक रूप से पेश किया। दो दिन पहले ही कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा उन्हें इस मामले में अग्रिम जमानत दी गई है।
एसीजेएम ने पश्चिम बंगाल सीआईडी के वर्तमान अतिरिक्त महानिदेशक को जमानत के लिए 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और दो जमानती पेश करने को कहा।
कुमार को आखिरी बार 13 सितंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट में सार्वजनिक रूप से देखा गया था। इसी दिन न्यायपालिका द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक हटा दी गई थी।
तब से कुमार केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के सामने पेश नहीं हुए थे, जिसने उन्हें मामले में पूछताछ के लिए कई नोटिस भेजे थे।
कुमार को अपनी कस्टडी में लेकर पूछताछ करना चाह रही सीबीआई ने अपनी एक 12 सदस्यीय विशेष टीम को शहर में भेजा था। लेकिन होटलों, गेस्ट हाउस, सरकारी कार्यालयों, बंगले और यहां तक कि एक निजी अस्पताल पर छापेमारी के बाद केंद्रीय एजेंसी उन्हें पकड़ नहीं पाई।
इस मामले में मंगलवार को सीबीआई को झटका लगा। हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने कुमार को यह कहते हुए अग्रिम जमानत दे दी कि पूछताछ के इस चरण में उनकी हिरासत के लिए एजेंसी की याचिका योग्य नहीं है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर इस मामले के संबंध में जांच एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार किया तो कुमार को तुरंत जमानत दी जाएगी।