मध्य प्रदेश में हुई आयकर विभाग की छापेमारी को लेकर चुनाव आयोग ने सख्ती दिखाई है। आयोग ने वित्तीय जांच एजेंसियों को कहा है कि किसी भी छापेमारी से पहले चुनाव आयोग को भी सूचित करें। वहीं चुनाव आयोग की तरफ से 7 अप्रैल को भेजे गए पत्र में चुनाव में अवैध धन के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई की पैरवी तो की गई है, लेकिन राजस्व विभाग के तहत आने वाली एजेंसियों को यह भी सलाह दी गई है कि कार्रवाई पूरी तरह से तटस्थ, पक्षपात रहित और भेदभाव रहित होनी चाहिए।
आयोग ने यह भी कहा कि यदि इस बात की पक्की जानकारी हो कि अवैध धन का इस्तेमाल चुनाव में हो रहा है तो इसकी जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को भी दी जाए। यह व्यवस्था तब तक जारी रहे जब तक आदर्श आचार संहिता लागू है। छापेमारी कांग्रेस नेताओं के करीबियों के घर पर हुई थी, जिसे विपक्षी पार्टियों ने बदले की कार्रवाई करार दिया था।
चुनाव आयोग के सूत्रों की मानें मध्य प्रदेश में जो छापेमारी आयकर विभाग ने की थी, उसके बारे में EC को जानकारी ही नहीं थी। ना सिर्फ केंद्रीय चुनाव आयोग बल्कि प्रदेश के निर्वाचन अधिकारी को भी इसके बारे में किसी तरह की सूचना नहीं दी गई थी। चुनाव आयोग ने जांच एजेंसियों को दो टूक कह दिया है कि चुनाव आचार संहिता लागू है ऐसे में भ्रष्टाचार से संबंधित किसी भी रेड या कार्रवाई की जानकारी वो चुनाव आयोग या राज्य के निर्वाचन अधिकारी से साझा करें।
आठ अप्रैल को राजस्व विभाग ने चुनाव आयोग को जवाब भेजा है। पत्र से साफ जाहिर है कि राजस्व विभाग को चुनाव आयोग की सलाह सही नहीं लगी। विभाग ने कहा कि उसे तटस्थ, पक्षपात रहित और भेदभाव रहित शब्दों अर्थ पहले से पता है और इन्हें ध्यान में रखकर ही कार्रवाई की जाती है। जब भी कोई सूचना मिलती है तो तुरंत कार्रवाई की जाती है। यह नहीं देखा जाता है कि वह किस दल के साथ संबद्ध है।
विभाग इसे आगे भी जारी रखेगा। बता दें कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की थी। इस छापेमारी में कैश, करोड़ों रुपये की संपत्ति जब्त की गई थी। इसके अलावा 20 करोड़ रुपये के हवाला का भी मामला सामने आया था, जिसके तार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के अकाउंटेंट से जुड़े थे। इतना ही नहीं प्रवीण कक्कड़ के करीबी के घर से टाइगर की खाल अन्य जंगली जानवरों की ट्रॉफियां और अवैध हथियार भी बरामद किए गए थे।