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जयराम रमेश ने कहा- ‘छोटे निवेशकों के बजाय अडाणी समूह के हितों की रक्षा के लिए क्यों खड़ा है सेबी’

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का कहना है कि अडानी समूह के स्वामित्व वाली कुछ कंपनियों को उनकी नियमित निगरानी में शामिल नहीं किया गया

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का कहना है कि अडानी समूह के स्वामित्व वाली कुछ कंपनियों को उनकी नियमित निगरानी में शामिल नहीं किया गया था और सवाल किया कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) छोटे निवेशकों के बजाय इस कारोबारी समूह के हितों की रक्षा के लिए क्यों खड़ा है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने पिछले कई दिनों की तरह आज भी ‘हम अडाणी के हैं कौन’ प्रश्न श्रृंखला के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ सवाल किए। रमेश ने दावा किया, ‘‘कई वैश्विक सूचकांक प्रदाताओं ने अपने इक्विटी सूचकांकों में अडाणी के शेयरों की स्थिति की समीक्षा की है, लेकिन एनएसई ने दूसरे तरीक़े से काम किया है। 20 मार्च 2023 से एनएसई ने अडानी ग्रुप की पांच कंपनियों को कम से कम 14 सूचकांकों में शामिल किया। हमने 20 फरवरी 2023 को इसके बारे में बताया भी था।’’
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निश्चित रूप से महज़ संयोग नहीं है
उन्होंने कहा, ‘‘इस हफ्ते एनएसई ने घोषणा की है कि अडाणी एंटरप्राइजेज, अडाणी पावर और अडाणी विल्मर 17 मार्च 2023 से अतिरिक्त निगरानी से बाहर निकल जाएंगे, जो निवेशकों को अत्यधिक जोखिम से बचाने के लिए रखे गए थे। यह समय निश्चित रूप से महज़ संयोग नहीं है।’’ कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ‘‘सेबी भी एनएसई की तरह लाखों छोटे निवेशकों के बजाय अडाणी समूह के हितों की रक्षा के लिए क्यों खड़ा है? सेबी ‘इंडेक्स इन्वेस्टर्स’ को अडाणी समूह के शेयरों में अतिरिक्त जोखिम लेने की इज़ाजत क्यों दे रहा है?’’
कीमतों में हेर-फेर सहित कई आरोप लगाए थे
कांग्रेस अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह और प्रधानमंत्री पर लगातार हमले कर रही है। उल्लेखनीय है कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेर-फेर सहित कई आरोप लगाए थे। अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है।

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