भारत अपने पड़ोसी देश अफगानिस्तान की हालिया स्थिति से अवगत है और इसको लेकर काफी चिंतित भी है। ऐसे में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि रूस, भारत और चीन को यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत है कि अफगानिस्तान के लोगों को निर्बाध रूप से एवं किसी तरह के राजनीतिकरण के बिना मानवीय सहायता प्राप्त हो।
रूस, भारत और चीन (आरआईसी) समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि आरआईसी देशों के लिए यह आवश्यक है कि आतंकवाद, कट्टरपंथ और मादक पदार्थों की तस्करी के खतरों से निपटने में अपने रुख को लेकर वे समन्वय स्थापित करें।
भारत अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम को लेकर चिंतित है
आरआईसी समूह की इस बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव भी मौजूद थे। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि नजदीकी पड़ोसी और पुराना सहयोगी होने के नाते भारत अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम को लेकर चिंतित है, खासतौर पर वहां के लोगों की परेशानियों को लेकर। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत, अफगानिस्तान में समावेशी एवं सभी वर्गों के प्रतिनिधित्व वाली सरकार तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 का हिमायती है।
सहयोग बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया
उन्होंने आगे कहा, ‘‘ आरआईसी देशों को यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करने की जरूरत है कि अफगानिस्तान के लोगों को निर्बाध रूप से एवं किसी तरह के राजनीतिकरण के बिना मानवीय सहायता प्राप्त हो।’’ जयशंकर ने अपने संबोधन में आरआईसी के ढांचे के तहत तीनों देशों के बीच करीबी वार्ता और सहयोग बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
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गौरतलब है कि आरआईसी के ढांचे के तहत तीनों देशों के विदेश मंत्री समय-समय पर आपसी हितों से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। भारत ने पिछले वर्ष मॉस्को में तीनों देशों के समूह की बैठक के दौरान अध्यक्षता का दायित्व लिया था।
महामारी ने एक-दूसरे से जुड़ी दुनिया की एक-दूसरे पर निर्भरता को स्पष्ट किया है
जयशंकर ने कहा, ‘‘ मैं समझता हूं कि कारोबार, निवेश, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं राजनीति सहित अन्य विषयों पर हमारा सहयोग वैश्विक प्रगति, शांति एवं स्थिरता में काफी योगदान कर सकता है। यह दुनिया को एक परिवार मानने की हमारी भावना के अनुरूप है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने एक-दूसरे से जुड़ी दुनिया की एक-दूसरे पर निर्भरता को स्पष्ट किया है तथा ऐसे में ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ पहल समय की आवश्यकता है।