दिल्ली में शनिवार को ग्लोबल बिजनेस समिट कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने देश के अनेक मुद्दों पर अपना पक्ष रखा। जम्मू-कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र संस्था की टिप्पणी पर विदेश मंत्री कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के निदेशक पहले भी गलत हो चुके हैं। सीएए को लेकर उन्होंने कहा कि “हर कोई नागरिकता को एक संदर्भ में देखता है, मुझे कोई भी ऐसा देश बताइए जो कहता हो कि दुनिया के हर व्यक्ति का वहां स्वागत है।”
उन्होंने कहा कि यूएनएचआरसी सीमा पार के आंतकवाद के मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता रहता है जैसे कि उसके ठीक बगल के देश से कोई लेना-देना नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा कि “कृपया समझने की कोशिश करें कि उनका संबंध कहां से है, यूएनएचआरसी के रिकॉर्ड को देखें कि वे पूर्व में कश्मीर मुद्दे से कैसे निपटे हैं।”
विदेश मंत्री ने कहा कि सीएए पर हम जो बिंदु बनाते हैं वह यह है कि यह किसी का मामला नहीं हो सकता है कि सरकार और संसद के पास नागरिकता की शर्तें निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। हमने इस देश में बड़ी संख्या में देशविहीन लोगों को कम करने की कोशिश की है।
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जब वे नागरिकता को देखते हैं तो हर किसी के पास एक संदर्भ होता है। भारत में सीएए स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाया है या गलत समझा गया है इस पर विदेश मंत्री ने कहा कि मीडिया के बाहर दुनिया के कुछ वर्ग हैं। उन्होंने कहा मैं सरकारी काम में संलग्न ब्रसेल्स में था, मेरे पास एक कमरे में 27 विदेशी मंत्री थे जिनसे मैं बात कर रहा था।
उन्होंने कहा कि हमने सीएए के जरिए देश विहीन लोगों की संख्या घटाने की कोशिश की, इसकी प्रशंसा होनी चाहिए। कोई भी यह नहीं कह सकता कि सरकार या संसद के पास नागरिकता की शर्तें निर्धारित करने का अधिकार नहीं है, हर सरकार ने यह किया है।