केंद्र की मोदी सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने का ऐलान कर दिया। इस फैसले के साथ लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया गया है। अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख अलग – अलग केंद्र शासित प्रदेश होंगे। इसमें से जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केन्द्र शासित प्रदेश होगा वहीं लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केन्द्र शासित प्रदेश बनाया जायेगा।
अभी भारत में सात केन्द्र शासित प्रदेश है
भारत में इस वक्त 29 राज्यों में से सात केन्द्र शासित राज्य हैं। इन केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़, दादर और नगर हवेली, दमन और दीव, लक्ष्यद्वीप और पुडुचेरी शामिल है।
केन्द्र शासित प्रदेशों को मिलते है ये अधिकार
भारतीय संविधान के अनुसार केंदशासित प्रदेशों में काम केंद्र सरकार की तरफ से बनाए गए कानून के तहत चलता है। हालांकि दिल्ली जैसे राज्य में भले ही मुख्यमंत्री को जनता चुनकर भेजती हो पर इन राज्यों में होने वाले कार्यों को करने का अधिकार सीधे राष्ट्रपति को होता है।
अंडमान निकोबार, दिल्ली और पुडुचेरी का मुखिया उपराज्यपाल होता है। इन राज्यों में मु्ख्यमंत्री से ज्यादा अधिकार राज्यपाल को प्राप्त हैं। चंडीगढ़ की बात की जाए तो यहां प्रशासक मुख्य आयुक्त होता है।
कैसे बदलेगा जम्मू कश्मीर
-लद्दाख को अलग करने के बाद अब जम्मू – कश्मीर राज्य नहीं रहा।
-जम्मू कश्मीर अब राज्य नहीं रहा, इसे लद्दाख से अलग किया गया।
-अनुच्छेद 370 हट जाने के बाद अब जम्मू- कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हो पायेगा। पहले यहां राज्यपाल शासन लगता था।
-जम्मू-कश्मीर में विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा , वहीं लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।
-जम्मू-कश्मीर में अब नहीं होगा अलग झंडा और अलग संविधान। साथ ही यहां की स्थानीय पुलिस अब राज्यपाल को रिपोर्ट करेगी।