भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के सदस्य गुरुवार को लोकसभा में सरकार द्वारा पेश किए गए तीन तलाक विधेयक का विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गए। इस दौरान पार्टी ने कहा कि इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय के नेताओं की सहायता से जन जागरूकता पैदा करने की जरूरत है।
मुस्लिम महिलाओं (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान जद (यू) के सदस्य राजीव रंजन सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी का मानना है कि इस विधेयक से समाज को नुकसान होगा।
उन्होंने कहा, बिल समाज में एक अलग भावना पैदा करेगा, क्योंकि कोई भी नहीं चाहता है कि पत्नी और पति के बीच संबंधों में मतभेद हो।
सिंह ने कहा कि तीन तलाक एक सामाजिक मुद्दा है और इसे सामाजिक स्तर पर हल किया जाना चाहिए।
सिंह ने कहा, एक पति और पत्नी के बीच का रिश्ता आपसी स्वीकृति पर आधारित होता है।
आप एक कानून बनाकर रिश्ते का फैसला नहीं कर सकते। कोई भी पति और पत्नी के बीच के लगाव और प्यार को खत्म नहीं करना चाहता। अगर आप कानून का इस्तेमाल कर इसे रोकते हैं तो यह एक एक विशेष समुदाय को चोट पहुंचाएगा।
सांसद ने कहा, कोई भी तलाक को पसंद नहीं करेगा। आपको इसे उस समुदाय पर छोड़ देना चाहिए। सरकार को केवल सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने का प्रयास करना चाहिए।
सिंह ने कहा कि 2017 में सर्वोच्च न्यायालय में मामले की सुनवाई का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अदालत को आश्वासन दिया था कि वह ट्रिपल तलाक पर मुस्लिम समुदाय में जागरूकता लाने में मदद करेगा।
इसके बाद सांसद ने कहा कि सरकार को उस समुदाय के प्रमुख सदस्यों की मदद से समाज में जागरूकता पैदा करनी चाहिए।
सरकार के स्वच्छता अभियान का हवाला देते हुए सांसद ने पूछा कि स्वच्छता पर कोई कानून क्यों नहीं था और अपराधियों को जेल क्यों नहीं हो रही थी।
अन्य कानूनों के दुरुपयोग का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, आपने दहेज विरोधी कानून और धारा 498 बनाया, लेकिन इन कानूनों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसलिए आप ऐसा कोई अन्य कानून बनाएंगे, तो इसका भी दुरुपयोग किया जाएगा।
सिंह ने पूछा, कौन साबित करेगा कि पति ने तीन तालक कहा है या नहीं?
गौरतलब है कि विधेयक में तीन तलाक पर अंकुश लगाने के साथ पति को तीन साल की जेल का प्रावधान है। इसका उद्देश्य विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना और पतियों द्वारा तीन तलाक मांगने पर रोक लगाना है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से तीन तलाक विधेयक का विरोध किया है। तीन तलाक के अलावा भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी जद (यू) का उससे अन्य मुद्दों जैसे अनुच्छेद-370, यूनिफॉर्म सिविल कोड और अयोध्या में प्रस्तावित भव्य राम मंदिर पर भी मतभेद है।