वित्तीय संकट से जूझ रही विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज ने हवाई अड्डा शुल्कों के भुगतान के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। नागर विमानन सचिव राजीव नयन चौबे ने यहाँ एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं को बताया ‘जेट एयरवेज हवाई अड्डा संचालकों को शुल्कों का भुगतान करने के लिए अतिरिक्त समय चाहती है। यह हवाई अड्डा संचालकों और निजी एयरलाइंस के बीच की बात है तथा सरकार इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी।’
टाटा समूह के जेट एयरवेज की हिस्सेदारी खरीदने की खबरों के संबंध में चौबे ने कहा कि इस संबंध में मंत्रालय के पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है। इसी कार्यक्रम के बाद नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने जेट एयरवेज के बारे में पूछे जाने पर कहा कि सरकार किसी एक निजी विमान सेवा कंपनी के मसले को सुलझाने की बजाय पूरे नागर विमानन क्षेत्र से जुड़ मसलों पर ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि एयरलाइंस के बारे में फैसला करने का काम उसके निदेशक मंडल तथा शेयरधारकों का है।
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उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज को चालू वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में 260 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। वह अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं कर पा रही है। साथ ही तेल विपणन कंपनियों को विमान ईंधन के मद में पैसे देने में भी उसे दिक्कत आ रही है।
देश के अधिकतर हवाई अड्डों का संचालन करने वाली तथा अन्य हवाई अड्डों की संचालक कंपनियों में हिस्सेदारी रखने वाली सरकारी एजेंसी भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जेट एयरवेज के कुछ शुल्क बकाया हैं, हालांकि उन्होंने बकाया राशि बताने से इनकार कर दिया। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण के अपने नियमों तथा विमान सेवा कंपनियों से वित्तीय आश्वासनों को देखते हुये कई बार शुल्क भुगतान के लिए अतिरिक्त समय दिया जाना आम बात है।