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जिगिशा हत्याकांड : हाईकोर्ट ने दो दोषियों की मौत की सजा उम्रकैद में बदली

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नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 के जिगिशा घोष हत्याकांड में दो दोषियों को मिली मौत की सजा को आज उम्रकैद में बदल दिया। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने इस मामले में निचली अदालत से तीसरे दोषी को मिली उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। पीठ ने कहा, हम दो दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलते हैं।

निचली अदालत ने वर्ष 2016 में रवि कपूर और अमित शुक्ला को आईटी एग्जीक्यूटिव की हत्या तथा अन्य अपराधों में मौत की सजा सुनाई थी जबकि तीसरे दोषी बलजीत मलिक को जेल में उसके अच्छे आचरण के कारण मौत की सजा नहीं दी थी और उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

निचली अदालत ने दो दोषियों को मौत की सजा सुनाते हुए कहा था कि 28 वर्षीय महिला की सुनियोजित, अमानवीय और क्रूर तरीके से हत्या की गई।

पुलिस ने दावा किया था कि इस हत्या के पीछे का मकसद लूट था। शुक्ला और मलिक की दोषसिद्धि और सजा पर फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए उनके वकील अमित कुमार ने उच्च न्यायालय में दलील दी कि निचली अदालत ने उनके मुवक्किलों को बारे में जेल की पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट के आधार पर मौत की सजा और उम्रकैद देते हुए गलती की थी।

जिगिशा घोष हत्या मामले में घटनाक्रम इस प्रकार रहा

18 मार्च 2009 : जिगिशा को उसके कार्यालय की कैब ने सुबह करीब चार बजे उसके घर से थोड़ दूरी पर छोड़ और वहां से चार लोगों ने एक कार में उसका अपहरण कर लिया।

21 मार्च : वह फरीदाबाद में सूरजकुंड के पास मृत पाई गई।

25 मार्च : दिल्ली पुलिस ने जिगिशा हत्याकांड में कथित संलिप्तता को लेकर चार लोगों को पकड़। पुलिस ने टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या का मामला भी सुलझाया जिसकी 30 सितंबर 2008 को उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वह तड़के अपने कार्यालय से अपनी कार से घर लौट रही थी।

जून 2009 : पुलिस ने अदालत में आरोपपत्र दायर किया।

10 अगस्त 2009 : अदालत ने आरोपों पर दलील सुनने के लिए 28 अगस्त की तारीख तय की।

5 दिसंबर 2009 : अदालत ने मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।

15 अप्रैल 2010 : जिगिशा के पिता की गवाही दर्ज करने के साथ मुकदमा शुरू हुआ।

5 जुलाई 2016 : अदालत ने अंतिम दलीलों पर सुनवाई पूरी की और फैसला सुरक्षित रखा।

14 जुलाई 2016 : अदालत ने तीन आरोपियों को जिगिशा के अपहरण, लूटपाट और उसकी हत्या का दोषी ठहराया।

20 अगस्त, 2016 : अदालत ने सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

22 अगस्त 2016 : अदालत ने दो दोषियों को मौत की सजा और तीसरे को उम्रकैद की सजा सुनाई तथा तीनों पर नौ लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

5 सितंबर 2016 : मौत की सजा पाए एक दोषी समेत दो दोषियों ने अपनी दोषसिद्धि और सजा के निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।

9 सितंबर 2016 : मौत की सजा पाए दूसरे दोषी ने भी उच्च न्यायालय में निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील दायर की।

15 सितंबर 2016 : मौत की सजा देने वाली निचली अदालत ने मौत की सजा पर पुष्टि के लिए मामले को उच्च न्यायालय के पास भेजा।

20 नवंबर 2017 : उच्च न्यायालय ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा।

4 जनवरी 2018 : उच्च न्यायालय ने दो दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला, एक दोषी की सजा बरकरार रखी।

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