सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कठुआ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले की सुनवाई को जम्मू से पठानकोट ट्रांसफर कर दिया है। हालांकि जम्मू-कश्मीर सरकार ने राज्य से बाहर केस ट्रांसफर किए जाने का विरोध किया। जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह राज्य में निष्पक्ष सुनवाई के लिए तैयार है और वह मामले को दूसरे राज्य में भेजे जाने का विरोध करती है।
आपको बता दें कि, मृतका के परिजनों ने इस मामले को चंडीगढ़ कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। परिजनों ने जान का खतरा होने की भी आशंका व्यक्त की थी। जिसके बाद इस मामले को कठुआ से ट्रांसफर करने की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करके हुए सोमवार को आदेश दिया कि केस को सुनवाई के लिए पठानकोट ट्रांसफर किया जा रहा है। इस मामले की रोजाना सुनवाई की जाएगी। सारी कार्यवाही को कैमरे में रिकॉर्ड किया जाएगा। आपको बता दे कि मामले की सुनवाई की अगली तारीख 9 जुलाई तय की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार को पठानकोर्ट के कोर्ट में सरकारी वकील नियुक्त करने की अनुमति दी है। कोर्ट ने इसी के साथ जम्मू-कश्मीर सरकार से पीड़ित परिवार, उनके वकील और गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए कहा है। कठुआ मामले की बीते दिनों केद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने की मांग उठाई जा रही थी। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य स्तरीय जांच पर भरोसा जताया है और सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया है।
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने 26 अप्रैल को मामले की सुनवाई की थी। बेंच ने कहा था कि अगर उन्हें कहीं भी ऐसा लगा कि मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो रही है तो वो केस को ट्रांसफर करने में देर नहीं करेंगे।
जानिए ! पूरा मामला
जनवरी में कठुआ में आठ साल की बच्ची से गैंगरेप कर उसकी हत्या कर दी गई थी। बलात्कार और हत्या मामले को लेकर अप्रैल में चार्जशीट दाखिल किया गया। इस चार्जशीट में सांझी राम, दीपक खजूरिया, सुरेंद्र वर्मा, प्रवेश कुमार (मन्नू), सांझी राम के भतीजे, विशाल जंगोत्रा और एक नाबालिग को अभियुक्त बनाया गया है। अभियुक्तों में एक मंदिर का पुजारी और चार पुलिसवाले भी शामिल हैं।
चार्जशीट के मुताबिक बच्ची के साथ रेप के बाद उसकी हत्या कर दी गई। मारने के बाद भी आरोपियों ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि मासूम मर जाए, उसके सिर पर पत्थर से कई वार किए और बाद में जांच के दौरान सांजीराम ने पुलिसकर्मियों को मामला दबाने के लिए 1.5 लाख रुपये की रिश्वत भी दी।
अधिक लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।