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मध्य प्रदेश कि कमान हाथ में आते ही कमलनाथ ने पास की किसानों की कर्जमाफी फाइल

कमलनाथ थोड़ी ही देर में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले है। शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत फारूक अब्दुल्ला और शरद यादव और अन्य नेता भोपाल भी शामिल है।

भोपाल : कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने सोमवार दोपहर मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उन्हें शहर के जम्बूरी मैदान में एक भव्य समारोह में शपथ दिलाई। कमलनाथ ने हिन्दी में शपथ ली और अकेले शपथ ग्रहण किया। उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रियों को बाद में शपथ दिलाई जाएगी। कमलनाथ ने कांग्रेस के ‘वचन पत्र’ में किये गये वादे के अनुसार सबसे पहले किसानों के दो लाख रुपये तक के कर्ज माफ करने की फाइल पर हस्ताक्षर किये। इसकी जानकारी मध्यप्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजोरा ने दी।

उन्होंने कहा, ‘‘सोमवार शाम जारी आदेश में कहा गया है कि मध्यप्रदेश शासन एतद् द्वारा निर्णय लिया जाता है कि मध्यप्रदेश राज्य में स्थित राष्ट्रीयकृत तथा सहकारी बैंकों में अल्पकालीन फसल रिण के रूप में शासन द्वारा पात्रता अनुसार पात्र पाये गये किसानों के दो लाख रुपये की सीमा तक का 31 मार्च 2018 की स्थिति में बकाया फसल रिण माफ किया जाता है। शपथ ग्रहण समारोह में राहुल गांधी, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के मंच पर आते ही कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हर्षोउल्लस के साथ जमकर नारे लगाये।

शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सहित संप्रग के कई दिग्गज नेता मौजूद थे, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी, द्रमुक नेता एम के स्टालिन, तेलुगू देशम पार्टी के प्रमुख और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता शरद पवार, प्रफुल्ल पटेल, नेशनल कांफ्रेस के नेता फारूख अब्दुल्ला, तृणमूल कांग्रेस के नेता दिनेश त्रिवेदी शामिल हैं।

कार्यक्रम में बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव को भी आना था लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों नहीं आ सके। इस भव्य समारोह से पहले मैदान में सर्वधर्म प्रार्थना हुई। कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन वहां से रवाना हो गई। शपथ ग्रहण समारोह में सोमवार की सुबह राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अशोक गहलोत, राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रमुख राजबब्बर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, राजीव शुक्ला, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, मध्यप्रदेश से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्वियज सिंह, वरिष्ठ नेता अजय सिंह, और सुरेश पचौरी सहित अनेक प्रमुख नेता, साधु संत और सभी धर्मो के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के तीन पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान, कैलाश जोशी और बाबूलाल गौर भी मौजूद थे। शपथ ग्रहण से पहले मंच पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक साथ हाथ उठाकर जनता का अभिवादन किया। वर्ष 2019 के आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए यहां प्रमुख विपक्षी नेताओं का इकठ्ठा होना महागठबंधन बनने की संभावना की दिशा में एक अहम संकेत माना जा रहा है। जम्बूरी मैदान में शपथ ग्रहण का भव्य समारोह आयोजित करने की पिछले तीन दिन से तैयारियां की जा रही थी।

मालूम हो कि कमलनाथ के पहले भाजपा के शिवराज सिंह चौहान ने भी इसी मैदान पर तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा के सभी अहम नेताओं की बड़ी सभाएं भी इसी मैदान पर होती रही हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए 28 नवंबर को मतदान हुआ था और 11 दिसंबर को आए चुनाव परिणाम में प्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिली हैं। वह बसपा के दो, सपा के एक और चार अन्य निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना रही है। उसे फिलहाल कुल 121 विधायकों का समर्थन हासिल है। वहीं, भाजपा को 109 सीटें मिली हैं।

कमलनाथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी जैसे प्रदेश के सभी दिग्गज नेताओं को एक साथ ले आए, जिसके चलते मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी में एकजुटता दिखी और कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। समाज के हर तबके के लिए योजनाओं के कारण चौहान की लोकप्रियता से वाकिफ कमलनाथ ने चुनाव अभियान की शुरूआत में ही भाजपा पर हमला शुरू कर दिया। अभियान के जोर पकड़ने पर पार्टी की ओर मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए राज्य कांग्रेस ने ‘वक्त है बदलाव का’ नारा दिया।

कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान में चौहान के अधूरे रह गए वादों पर फोकस किया। पार्टी ने चौहान को ‘घोषणावीर’ बताया जिसके बाद सरकार द्वारा घोषित योजनाओं को लेकर चर्चा शुरू हो गयी। कमलनाथ का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम महेंद्रनाथ और माता का लीला है। देहरादून स्थित दून स्कूल के छात्र रहे कमलनाथ ने राजनीति में आने से पहले सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से स्नातक किया। वह वर्ष 1980 में पहली बार मध्यप्रदेश की छिन्दवाड़ा लोकसभा सीट से सांसद बने और नौ बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया।

कमलनाथ की छवि वैसे तो काफी साफ-सुथरे नेता की है लेकिन हवाला कांड में नाम आने की वजह से वह 1996 में आम चुनाव नहीं लड़ पाए थे। तब पार्टी ने उनकी जगह उनकी पत्नी अलका नाथ को छिन्दवाड़ा का टिकट दिया था जो भारी मतों से विजयी हुई थीं। जब एक साल बाद वह इस कांड में बरी हुए थे तो उनकी पत्नी ने छिंदवाड़ा की सीट से इस्तीफा दे दिया और कमलनाथ ने वापस वहां से चुनाव लड़ा लेकिन वह भाजपा के तत्कालीन दिग्गज सुंदरलाल पटवा से हार गए थे। उनका नाम साल 1984 के सिख विरोधी दंगों में भी उछला था, लेकिन कोई भी अपराध उन पर सिद्ध नहीं हो पाया। वह तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में वर्ष 1991 में पहली बार पर्यावरण एवं वन मंत्री बने थे।

इसके बाद राव के उसी कार्यकाल में वह वर्ष 1995-1996 में केंद्रीय राज्य मंत्री वस्त्र (स्वतंत्र प्रभार) रहे। बाद में वह डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार में वर्ष 2004 से 2009 तक वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे, जबकि मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल में वर्ष 2009 से वर्ष 2011 के बीच वह सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री बने । बाद में 2011 से 2014 तक उन्होंने शहरी विकास मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। वह वर्ष 2001 से वर्ष 2004 तक अखिल भारतीय कांग्रेस के महासचिव भी रहे। कमलनाथ के परिवार में उनकी पत्नी अलका नाथ एवं दो बेटे नकुल नाथ एवं बाकुल नाथ हैं। राजनीति के अलावा कमलनाथ को बिजनेस टायकून भी कहा जाता है। उनकी 23 कंपनियां हैं, जिन्हें उनके दोनों बेटे चलाते हैं। कमलनाथ इनमें से किसी भी कंपनी के डायरेक्टर नहीं हैं।

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