मध्यप्रदेश में पिछले दस दिनों से चल रहे राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया कि वे बंगलूर में‘बंधक’बनाकर रखे गए कांग्रेस के 22 विधायकों को सुरक्षित अपने राज्य भेजने के मामले में अपनी शक्तियों का उपयोग करें।
श्री कमलनाथ ने श्री शाह को लिखे पत्र में तीन मार्च से शुरू हुए घटनाक्रमों का सिलसिलेवार ब्यौरा दिया है। उन्होंने कहा कि इन कांग्रेस विधायकों के त्यागपत्र भाजपा के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे। और अब यही भाजपा नेता फ्लोर टेस्ट की बात कर रहे हैं।
उन्होंने श्री शाह को भरोसा दिलाया है कि इन विधायकों को मध्यप्रदेश आने पर राज्य में उन्हें पूर्ण सुरक्षा मुहैया करायी जाएगी और यह राज्य सरकार का कर्तव्य है।
श्री कमलनाथ ने राज्य की मौजूदा स्थितियों से अवगत कराते हुए श्री शाह से अनुरोध किया है कि वे केंद्रीय गृह मंत्री होने के नाते अपनी शक्तियों का प्रयोग करें, जिससे कांग्रेस के 22 विधायक, जो बंदी बनाए गए हैं, वे वापस मध्यप्रदेश सुरक्षित पहुंच सकें। और सोलह मार्च से प्रारंभ होने वाले विधानसभा सत्र में विधायक के रूप में अपने कर्तव्यों के और जिम्मेदारियों का बिना भय अथवा लालच के निर्वाह कर सकें।
श्री कमलनाथ ने पत्र की शुरूआत में तीन मार्च के बाद से शुरू हुए घटनाक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि इनका उद्देश्य राज्य सरकार को अस्थिर करना है। यह सब कुछ तीन मार्च को शुरू हुआ, जब कांग्रेस के तीन विधायक, बसपा विधायक श्रीमती रामबाई और कांग्रेस को समर्थन देने वाले एक निर्दलीय विधायक को गुरूग्राम स्थित मानेसर होटल ले जाया गया।
उन्होंने लिखा है कि सही समय पर मध्यप्रदेश सरकार के दो मंत्रियों ने होटल पहुंचकर श्रीमती रामबाई और उनके परिजनों को भाजपा नेताओं के चंगुल से छुड़या, लेकिन तीन कांग्रेस विधायकों और निर्दलीय विधायक को भाजपा द्वारा चार्टर्ड प्लेन की मदद से बंगलूर ले जाया गया।
मुख्यमंत्री ने लिखा है कि उस विमान की पैसेंजर सूची से स्पष्ट है कि भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया और भाजपा पदाधिकारी आशीष तिवारी उनके साथ बंगलूर गए। इसके बाद नौ मार्च को कांग्रेस के 19 विधायकों को तीन चार्टर्ड विमानों के जरिए बंगलूर ले जाया गया। इन विमानों की व्यवस्था भाजपा की ओर से की गयी। इन विमानों की पैसेंजर सूचियों से स्पष्ट है कि राज्य के पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता, दो पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता और हेमंत अग्रवाल उनके साथ गए।
श्री कमलनाथ ने लिखा है कि कालांतर में बंगलूर ले जाए जा रहे विधायकों की संख्या बढ़कर 22 हो गयी। ये सभी विधायक कर्नाटक पुलिस के संरक्षण में हैं। मध्यप्रदेश के कुछ भाजपा नेताओं को इन विधायकों के साथ इनके ठहरने के स्थान से आ रही तस्वीरों में देखा जा सकता है। इन विधायकों के ऊपर कथित तौर पर हो रहे सभी खर्चे भी कर्नाटक भाजपा द्वारा वहन किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री के अनुसार इन विधायकों को सभी प्रकार की व्यक्तिगत संचार सुविधाओं से वंचित कर बंदी बनाकर रखा गया है। यहां तक कि एक विधायक के पिता को अपने बेटे से मिलने की अनुमति भी नहीं दी गयी। मध्यप्रदेश के दो मंत्रियों को विधायक के पिता के साथ कर्नाटक पुलिस द्वारा गिरफ्तार भी किया गया और उनके साथ धक्कामुक्की की गयी।
श्री कमलनाथ ने कहा कि इन सभी विधायकों से उनकी और विधायकों के परिजनों की बात करने की सभी कोशिशें असफल साबित हुयीं। जिससे यह आशंका सिद्ध होती है कि सभी विधायक बंदी हैं। विधायकों के जो वीडियो संदेश भी आ रहे हैं, उससे साबित होता है कि सभी विधायक दबाव में हैं और उन्हें एक विशेष तरीके से व्यवहार करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
श्री कमलनाथ के अनुसार विधायकों द्वारा अध्यक्ष को भेजे गए त्यागपत्र संबंधित विधायकों की ओर से प्रस्तुत नहीं किया जाकर भाजपा के पूर्व मंत्री भूपेंद, सिंह और भाजपा के ही कुछ विधायकों द्वारा अध्यक्ष के समक्ष पेश किए गए। अध्यक्ष ने वस्तुस्थिति जानने के लिए छह विधायकों को उनके समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। इस बीच उन्होंने सभी गतिविधियों से अवगत कराते हुए राज्यपाल को पत्र लिखा। इसमें विधायकों को कैद से छुड़ने के लिए केंद, सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह किया गया था, लेकिन इसका का भी कोई असर नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक कांग्रेस के विधायक बंगलूर से वापस नहीं आ जाते, तब तक विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का कोई मतलब नहीं रह जाता है। यह एक अभूतपूर्व स्थिति है जब भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है और कांग्रेस विधायकों को बंदी बनाकर रखा गया है।
श्री कमलनाथ ने बताया कि कल राज्यपाल ने उन्हें सूचित किया कि जो विधायक विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष सुनवायी में भाग लेंगे, उनकी सुरक्षा का भार सीआरपीएफ को सौंपा जाना चाहिए। श्री कमलनाथ ने कहा कि मुख्यमंत्री होने के नाते विधायक समेत सभी नागिरकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का उत्तरदायित्व उनका है। उन्होंने आश्वासन दिया कि बंगलूर में मौजूद कांग्रेस विधायकों को रिहा कर दिया जाता है तो वे राज्य सरकार की ओर से सभी विधायकों को उच्चतम सुरक्षा मुहैया कराएंगे। इससे वे निर्भय होकर विधानसभा की कार्यवाही में शामिल हो सकेंगे।