गुजरात में पाटीदार समुदाय को आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा कानूनविद, और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपित सिब्बल और हार्दिक पटेल की अगुवाई वाले पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) की देर रात शुरू होकर आज तडके दो बजे तक चली बैठक बिना किसी ठोस नतीजे के समाप्त हो गयी। बैठक के बाद पास और सिब्बल ने अलग अलग बयान दिये। उधर मुख्यमंत्री तथा वरिष्ठ भाजपा नेता विजय रूपाणी ने इसे एक नाटक करार दिया।
हार्दिक ने आरक्षण के मुद्दे पर आठ नवंबर तक विपक्षी दल से अपना रूख स्पष्ट करने का अल्टीमेटम दिया था। गत 31 अक्टूबर को पास की कोर कमेटी और कांग्रेस के शीर्ष प्रदेश नेतृत्व की बैठक में आरक्षण को छोड अन्य तीन मुद्दों पर सहमति बन गयी थी।
आरक्षण के मामले में कानूनी सलाह दे रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल की मौजूदगी में यहां कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में रात करीब साढे ज्ञारह बजे शुरू हुई बैठक में हार्दिक स्वयं हाजिर नहीं रहे। इसमे पास की कोर कमेटी के 13 सदस्यों ने भाग लिया। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी और अन्य नेता भी इसमें उपस्थित थे।
बैठक में कोर कमेटी की अगुवाई करने वाले हार्दिक के करीबी सहयोगी दिनेश बांभणिया ने बाद में पत्रकारों से कहा कि कांग्रेस ने तीन विकल्प सुझाये हैं। इन पर हार्दिक से आज चर्चा के बाद समुदाय और कानूनी विशेषज्ञों से भी राय मशविरा किया जायेगा। इसके बाद जल्द ही पार्टी के साथ एक और बैठक होगी। उन्होंने श्री सिब्बल के साथ हुई बैठक को संतोषजनक करार दिया तथा कहा कि पार्टी ने आरक्षण देने की इच्छाशक्ति दिखायी है।
उधर श्री सिब्बल ने कहा कि बैठक में केवल एक दूसरे की बात को समझा गया और इसके संवैधानिक पहलुओं पर चर्चा हुई। किसी फार्मूले अथवा विकल्प पर बात नहीं हुई। बैठक एक बार बीच में ही रोक भी दी गयी थी। दिसंबर में हो रहे गुजरात विधानसभा चुनाव में पास ने कांग्रेस को समर्थन देने के लिए उससे आरक्षण के मुद्दे पर रूख साफ करने को कहा था। हालांकि भाजपा का आरोप है कि हार्दिक और कांग्रेस में पहले से ही मैच फिकि्संग जैसा समझौता है।
इस बीच हार्दिक की सहयोगी रही पास की पूर्व महिला संयोजक और अब भाजपा में शामिल रेशमा पटेल ने आरोप लगाया कि देर रात कांग्रेस के साथ बंद दरवाजे में हुई नाटकीय बैठक असल में कांग्रेस के एजेंटों और कांग्रेस के बीच चुनाव में टिकट की फिकि्संग के लिए हुई थी। पास पाटीदार समुदाय को गुमराह कर रहा है। गुजरात की जनता कांग्रेस के 60 साल के काले शासन को भूली नहीं है।