कर्नाटक विधानसभा में आज एक महत्वपूर्ण बिल पेश किया गया है, जिसमें बेंगलुरु नगर निगम को पांच क्षेत्रों में विभाजित करने का प्रस्ताव है। ये पांच क्षेत्र हैं उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और मध्य। इस प्रस्ताव के अनुसार, कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु नगर निगम को प्रशासनिक एवं विकास के दृष्टिकोण से पांच जोन में बांटने का फैसला लिया है। इसका मकसद यह है कि नगर निगम की कार्यकुशलता में सुधार हो और दबाव कम हो।
कर्नाटक के पूर्व मुख्य सचिव बीएस पाटिल की अध्यक्षता वाली बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) पुनर्गठन समिति ने पिछले हफ्ते सोमवार को राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को शहर के प्रशासन पर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। अपनी रिपोर्ट में पैनल ने सरकार को ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी बनाने का सुझाव दिया था ।
बेंगलुरु में वार्डों की संख्या भी बढ़ाने की सिफारिश
एक्सपर्ट कमेटी ने मौजूदा BBMP की जगह तीन नए निगम बनाने की सिफारिश की है, जो शहर की शासन व्यवस्था को देखेगी। इसके अतिरिक्त, समिति ने वार्डों की संख्या को मौजूदा 198 से बढ़ाकर 400 नए वार्ड करने का प्रस्ताव दिया है। इस पुनर्गठन से बेंगलुरु के भीतर स्थानीय शासन और सर्विस डिस्ट्रीब्यूशन में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
सूत्रों के अनुसार, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के विभाजन के लिए एक मसौदा विधेयक तैयार कर लिया गया है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे कर्नाटक विधानसभा के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। यह निर्णय बेंगलुरु की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर लिया गया है। शहर की भौगोलिक स्थिति के आधार पर नगर निगम को पांच अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा। बेंगलुरू की जनसंख्या में विशेष वृद्धि हुई है और अब इसकी आधिकारिक आंकड़ा एक करोड़ से अधिक हो गया है।
एक पक्ष यह है कि बेंगलुरु महानगर पालिका के विभिन्न हिस्सों में बांटने से शहरी विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और यह शहर की एकता और अभिव्यक्ति को भी कमजोर कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ अगर हम देखें तो यहां तक कि लंदन जैसी जगहों पर भी 35 से 38 निगम हैं। जिससे प्रभावी प्रशासन में मदद मिलती है। क्योंकि बारिश के दौरान बेंगलुरु में बुनियादी ढांचे की समस्या होती है। बिल के पेश होने के बाद विधायकों को इस पर मतदान करने का मौका दिया जाएगा, जिसके बाद इसे बिल के रूप में मंजूरी देने का निर्णय लिया जाएगा। बेंगलुरु शहर के इस प्रस्ताव के माध्यम से नए विकास की दिशा में एक नई कड़ी में पहल की गई है, जिसमें शहर के विकास को और अधिक संरचित बनाने का प्रयास किया गया है।