नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदम्बरम के पुत्र कार्ति चिदम्बरम को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के समक्ष 23 अगस्त को पेश होने का आज निर्देश दिया। मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कार्ति की सभी दलीलें ठुकराते हुए उन्हें पूछताछ में हिस्सा लेने के लिए 23 अगस्त को सीबीआई मुख्यालय में पेश होने का आदेश दिया।
कार्ति ने न्यायालय से आग्रह किया कि वह सीबीआई के चेन्नई स्थित कार्यालय में पेश होने को तैयार हैं, जिसका सीबीआई की ओर पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पुरजोर विरोध किया। इसके बाद पीठ ने कार्ति को सीबीआई मुख्यालय में पेश होने का आदेश दिया। न्यायालय ने हालांकि कार्ति को सीबीआई मुख्यालय अपने साथ वकील ले जाने की अनुमति प्रदान कर दी। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि कार्ति का वकील उस कक्ष में नहीं जा पायेगा जहां उनसे पूछताछ होगी।
इससे पहले कार्ति ने यह कहते हुए न्यायालय को समझाने का प्रयास किया कि वह सीबीआई के समक्ष पेश होने से नहीं डरते, लेकिन उन्हें न्यायालय का संरक्षण चाहिए, लेकिन पीठ ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 28 अगस्त की तारीख मुकर्रर करते हुए उस दिन तक सीबीआई को अपनी रिपोर्ट सौंपने और कार्ति को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।
गौरतलब है कि आईएनएक्स मीडिया को 2007 में 305 करोड़ रुपये के विदेशी पूंजी निवेश के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिलाने के मामले में कार्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप हैं और पिछले दिनों सीबीआई ने उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया था, जिस पर मद्रास उच्च न्यायालय ने रोक लगाते हुए कार्ति को विदेश जाने की अनुमति दे दी थी।
इसके खिलाफ सीबीआई ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है, जिसने गत 14 अगस्त को मद्रास उच्च न्यायालय के स्थगनादेश पर आज तक के लिए रोक लगा दी थी। कार्ति के खिलाफ सीबीआई का लुक आउट सर्कुलर अगले आदेश तक जारी रहेगा।