मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली उच्च न्यायालय में इससे इनकार किया है कि उन्होंने एक झूठा हलफनामा दाखिलकर दावा किया कि उन्होंने अपने वकील को वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने का निर्देश नहीं दिया था।
केजरीवाल का जवाब न्यायमूर्ति मनमोहन द्वारा 23 अगस्त को उन्हें जारी किये गये नोटिस पर आया है।
जेटली ने मांग की थी कि केजरीवाल और अन्य पांच आप नेताओं के खिलाफ मानहानि के मामले में जिरह के दौरान गलत बयान देने के लिए मुख्यमंत्री के खिलाफ की जाए। केजरीवाल और पांच अन्य आप नेताओं के खिलाफ 10 करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दर्ज करने वाले जेटली ने एक नयी अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री का यह इनकार झूठा है कि उन्होंने तब अपने वकील को अपमानजनक टिप्पणी करने का निर्देश दिया था।
उनके पूर्व वकील राम जेठमलानी ने दो दिन बाद उनके बयान का प्रतिवाद किया था। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 26 अप्रैल तय की है। वकील अनुपम श्रीवास्तव के माध्यम से दाखिल जवाब में केजरीवाल ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने झूठी गवाही दी या कोई गलत बयान दिया एवं उसके पक्ष में हलफनामा लगाया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बार काउंसिल की नियमावली एवं वकील अधिनियम 1961 किसी भी वरिष्ठ वकील को किसी भी मामले में अपने मुवक्किल से निर्देश लेने से रोकता है।
केजरीवाल ने कहा कि केंद्रीय मंत्री का आवेदन पूरी तरह बेबुनियाद है और न्यायिक प्रक्रिया पर रौब जमाने के इरादे से दाखिल किया गया है। सथरह मई को जिरह के दौरान केजरीवाल के तत्कालीन वकील जेठमलानी ने जेटली के विरुद्ध अपमानजनक शब्द इस्तेमाल किये थे। जेठमलानी ने अदालत में स्पष्ट रुप से कहा था कि उन्हें ऐसा करने के लिए केजरीवाल से निर्देश मिला था।
आप नेताओं द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों से इनकार करने वाले जेटली ने मानहानि के मुकदमे में दावा किया था कि उन्होंने डीडीसीए से जुड़े मामले में उनके विरुद्ध झूठा और मानहानिकारक बयान देकर उनकी प्रतिष्ठा को आंच पहुंचाया है।
लेटेस्ट खबरों के लिए यहां क्लिक करें।