नई दिल्ली: राजीव गांधी हत्याकांड मामले में केंद्र सरकार ने सात दोषियों की रिहाई का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में कहा है कि वो तमिलनाडु सरकार के सातों दोषियों की रिहाई से सहमत नहीं है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि ये मामला देश से एक पूर्व प्रधानमंत्री की नृशंस हत्या से जुड़ा है जिन्हें विदेशी आतंकी संगठन ने सुनियोजित तरीके से हत्या की गई। केंद्र ने रिपोर्ट में ये भी कहा कि ये हत्या इस नृंशस तरीके से की गई कि इसके चलते देश में लोकसभा व विधानसभा चुनाव भी टालने पड़े थे।
आपको बता दें कि इसमें 16 निर्दोष लोग मारे गए और कई लोग जख्मी हुए। इसमें नौ सुरक्षाकर्मी भी मारे गए थे। केंद्र सरकार ने कहा है कि जिस तरह से महिला मानव बम से ये हत्या की गई उसे ट्रायल कोर्ट ने भी रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस माना। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी इससे सहमत हुए। इन दोषियों के मामले को उच्च स्तर पर न्यायिक व प्रशासनिक स्तर पर देखा गया है। ये फैसला किया गया है कि अगर इस तरह चार विदेशी दोषियों को रिहा किया गया तो इसका अन्य विदेशी कैदियों के मामले पर भी गंभीर असर पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो अगली सुनवाई में का निपटारा करेगा। राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार तमिलनाडू सरकार की चिट्ठी पर तीन महीने में फैसला करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि 9 फरवरी 2014 की राज्य सरकार की चिट्ठी पर केंद्र फैसला करे। 25 साल से सात दोषी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
दिसंबर 2015 में पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा था कि राज्य सरकार संज्ञान लेकर मुरुगन, संथन, पेरारीवलन (जिनकी मौत की सजा को जन्म की सजा में बदल दिया गया था) और नलिनी, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रवीचंद्रन की उम्रकैद की सजा माफ नहीं कर सकती। अदालत ने यह माना था कि सीबीआई द्वारा जांच किए गए मामलों में राज्य केवल केंद्र सरकार की सहमति से छूट दे सकता है।