केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में नहीं रहा जा सकता, जहां विधायिका द्वारा पारित कानूनों और न्यायपालिका द्वारा दिए गए फैसलों को लागू करना मुश्किल हो।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि कभी-कभी, अपने अधिकारों की तलाश में, लोग दूसरों के अधिकारों के और अपने कर्तव्यों के बारे में भूल जाते हैं। मंत्री ने कहा कि मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के बीच संतुलन तलाशने की जरूरत है।
कोरोना के नए वैरिएंट को राहुल ने बताया ‘गंभीर’ खतरा, कहा-टीकाकरण के लिए गंभीर हो सरकार
उन्होंने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयक और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले देश के कानून होते हैं। रिजिजू ने हिंदी में कहा, ‘‘हम ऐसी स्थिति में नहीं हो सकते, जहां सुप्रीम कोर्ट, या उच्च न्यायालयों या विधानसभा और संसद द्वारा पारित होने के बावजूद कानूनों को लागू करना मुश्किल हो जाए … हम सभी को इस पर विचार करना होगा … विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका, समाज के सभी वर्गों को सोचना होगा कि देश संविधान के अनुसार चलता है।’’
इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमण और सुप्रीम कोर्ट तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश उपस्थित थे। कानून मंत्री की टिप्पणी सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र से पहले आई है, जिसमें सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक पेश करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए कहा था कि सरकार विरोध करने वाले किसानों को कानूनों के लाभों के बारे में नहीं समझा पाई। उन्होंने किसानों से धरना समाप्त करने और घर लौटने का भी आग्रह किया था।